DHANBAD NEWS: सीवरेज व ड्रेनेज सिस्टम की डीपीआर का ड्राफ्ट तैयार दामोदर में साफ बहेगा शहर के नालों का गंदा पानी !

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IMAGE CRADIT ; BHASKAR

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जिला पुलिस और एसीबी दोनों अल्पसंख्यक ठगी की जांच कर रहे हैं। घाटले जिले के थानों में कुल मिलाकर 18 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। पुलिस की जांच शाखा इन 18 मामलों की जांच कर रही है, लेकिन एसीबी की जांच कहीं अधिक तेजी से आगे बढ़ रही है। जबकि एसीबी ने आरोपी का पता लगा लिया है और प्राथमिकी दर्ज करने की तैयारी कर रही है, पुलिस अभी तक आरोपियों की पुष्टि नहीं कर पाई है।

सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम का ड्राफ्ट डीपीआर पूरा हो गया है और दामोदर शहर के नालों का गंदा पानी बिना रुकावट बहेगा।

ड्रेनेज और सीवर सिस्टम को जमीन पर उतारने की कवायद शुरू हो गई है। घरों के सेप्टिक टैंक और सीवर से निकलने वाले सीवेज को साफ करने के लिए निगम के अंदर पांच स्थानों पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाए जाएंगे। साथ ही दमेदार नदी व अन्य नदियों में स्वच्छ जल पहुंचाने के लिए 7 पंपिंग स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा।

इसके लिए जगह का चयन कर लिया गया है। सीवेज और ड्रेनेज सिस्टम के लिए डीपीआर का ड्राफ्ट कंसल्टेंट संस्था एनजेएस ने बनाया था।

एजेंसी ने इस मसौदे के आधार के रूप में सर्वेक्षण का उपयोग किया, और इसने विभाग को रिपोर्ट की एक प्रति भी प्रदान की। ड्राफ्ट में संभावित एसटीपी स्थानों के रूप में सिजुआ, पंडारकनाली, टेटिया, तसरा और नारायणपुर को सूचीबद्ध किया गया है।

सिजा, पंडारकनाली, मटकुरिया चौकी, डुमरी, तसरा, नारायणपुर और छताबाद के लिए भी पम्पिंग स्टेशन चुने गए हैं। एसटीपी का गंदा पानी दमेदार नदी में भेजे जाने से पहले शुद्धिकरण के लिए पम्पिंग स्टेशन भेजा जाएगा।

इस अवधारणा को अमल में लाने के लिए 60 एकड़ जमीन की जरूरत है। एसटीपी और पंपिंग स्टेशन के अलावा भूमिगत पाइप लगाने के लिए भी जमीन की जरूरत है।

प्रदूषित पानी की मात्रा अनिवार्य रूप से जनसंख्या के रूप में बढ़ेगी। इसके आलोक में इसकी डीपीआर भी तैयार हो रही है। सूत्रों की माने तो कैबिनेट ने भी इस योजना को हरी झंडी दे दी है. कार्यक्रम की कुल लागत 450 करोड़ रुपये है। इसकी नोडल एजेंसी अब जुडको है।

महानगरीय क्षेत्र में नालों को अंडरग्राउंड करना प्रमुख लक्ष्य है। वर्तमान में अधिकांश नालों को खोल दिया गया है। नालियां घर से दूषित पानी को क्षेत्र के तालाबों और नदियों में ले जाती हैं।

प्रतिदिन 192 एमएलडी पानी को साफ कर ड्राफ्ट के हिसाब से नदी में भेजा जाएगा। प्रत्येक एसटीपी की क्षमता में भिन्नता होती है। 75 MLD क्षमता वाले कई और 60, 21, 18 और 14 MLD क्षमता वाले अन्य हैं। इसके अलावा कंपनी क्षेत्र में 200 किलोमीटर का भूमिगत पाइप भी डालने का प्रस्ताव है। इस नाली के जरिए पानी नदी में प्रवेश करेगा।

सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम योजना विकसित करते समय वर्ष 2041 को ध्यान में रखा जाता है। 2041 में निगम की आबादी और भी बढ़ेगी। यह केवल समझ में आता है कि जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ेगी, वैसे-वैसे घरों की संख्या भी बढ़ेगी।

प्रदूषित पानी की मात्रा अनिवार्य रूप से जनसंख्या के रूप में बढ़ेगी। इसके आलोक में इसकी डीपीआर भी तैयार हो रही है। सूत्रों की माने तो कैबिनेट ने भी इस योजना को हरी झंडी दे दी है. कार्यक्रम की कुल लागत 450 करोड़ रुपये है। इसकी नोडल एजेंसी अब जुडको है।

महानगरीय क्षेत्र में नालों को अंडरग्राउंड करना प्रमुख लक्ष्य है। वर्तमान में अधिकांश नालों को खोल दिया गया है। नालियां घर से दूषित पानी को क्षेत्र के तालाबों और नदियों में ले जाती हैं। इस परियोजना के लागू होने के बाद प्रदूषित पानी नदी-तालाब में नहीं जाएगा। सभी नालों को पाइप से तैयार कर अंडरग्राउंड किया जाएगा।

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