दोस्तों आज के हमारे इस ब्लॉग में झरिया के कोयला खानों का इतिहास (History of Jharia Coal Mines) की जानकारियां जानने की कोशिश करने वाले हैं । झरिया धनबाद जिले का एक ऐसा क्षेत्र है , जहां पर ऊंचे गुण वाले कोयला पाया जाता है । झरिया के कोयला को यहां से अनेक जगह पर ले जाया जाता है । झरिया क्षेत्र में कई कोयले की खदान है। जहां से कोयले की माइनिंग की जाती है । कोयला प्रतिदिन की महत्वपूर्ण सामग्री है।
झरिया के निवासियों के लिए यह एक सोने जैसा है , क्योंकि यहां की अधिकतर आबादी गरीब है। जिसके कारण यहां के लोगों को ईंधन के तौर पर कोयला पर निर्भर रहना पड़ता है । तो दोस्तों आगे के लेख में हम झरिया के कोयले की खदान के महत्वपूर्ण जानकारियों को जाने वाले हैं ।
झरिया के कोयला खानों का इतिहास चार्ट | History of Jharia Coal Mines chart
कोयला खान | झरिया |
स्थापना | N/A |
प्रसिद्ध | कोयले के खानो के कारण |
Vehicle registration | JH |
PIN | 828111 |
जिला (district) | धनबाद |
राज्य ( state) | झारखंड |
देश(country) | भारत |
Member of Legislative Assembly | purnima niraj singh |
Member of Parliament | Pashupati Nath Singh |
Coordinates | 23.751568°N 86.420345°E |
Population (2001) • | Total 81,979 |
Elevation | 77 m (253 ft) |
Official | Hindi, Urdu |
Website | dhanbad.nic.in |
झरिया के कोयला खानों का इतिहास | history of jharia coal mine
History of Jharia Coal Mines :- दोस्तों झरिया धनबाद जिले का एक क्षेत्र है ।यह झारखंड धनबाद में स्थित है । यूं तो झरिया के कई रोचक इतिहास है। लेकिन आज हम सिर्फ झरिया के कोयले की खानों का इतिहास ही जाने वाले हैं। दोस्तों झरिया के सरकारों का कहना है कि झरिया एक ऐसा जगह है जो 100 सालों से जलते हुए कोयले के ऊपर बसा हुआ है । यहां का कोयला 100 सालों से पुराना है। यानी कोयले की उपलब्धता झरिया में 100 साल से भी ज्यादा है । झरिया के इतिहास में हम देखे तो हमें या प्राप्त होगा कि झरिया के लोग इस कोयले की खानों में सदियों से काम करते हुए आए है।
History of Jharia Coal Mines :- झरिया 2011 तक झारखंड का 15 वा सबसे बड़ा शहर था। झरिया धनबाद शहर के निकट स्थित महानगरों की काफी ज्यादा आर्थिक मदद प्रदान करता है। झरिया को भारत की कोयला राजधानी के रूप में भी जाना जाता है । इसके निकट स्थित कोयले की खदानों में 1916 से भूमिगत आग लगी हुई है। झरिया के पूरा इलाका एक ऐसी जगह स्थित है जो नीचे से पूरा खोखला हो चुका है । झरिया के कोयला खदानों के कारण यहां का वातावरण काफी प्रदूषित रहा करता है । चारों और काला धुआं व धूल हमें यहां के वातावरण में दिखाई देते हैं।
झरिया के कोयले की खानों में आग कैसे लगी? How did the Jharia coal mines catch fire?
झरिया के कोयला खानों का इतिहास :- दोस्तो झरिया के कोयले की खानों में हमें आग लगने की घटना की खबर मिलते ही रहते हैं। इसके कारण झरिया में कई हादसे होते रहते हैं तो अब हमारे सामने यह सवाल आता है कि आखिर झरिया में भूमिगत आग कैसे लगी। झरिया में आग लगने का शुरुआत से 1916 से आरंभ हुआ । सुरंग बनाने की प्रक्रिया आवैज्ञानिक थी । जिसे आजादी के बाद कुछ प्राइवेट कोल माइनिंग कंपनियों ने खोला।
कोयले का प्राकृतिक स्वभाव होता है जलने का । यदि एक निश्चित समय पर कोयले को खनन करके ना निकाला जाए तो यह जमीन के अंदर खुद ही चल पड़ेंगे। झरिया के क्षेत्रों में खनन प्रक्रिया के बाद 45% कोयला अंदर ही रह गया । अंदर के तापमान ने उन्हें जलने के लिए अनुकूल परिस्थिति प्रदान किया। जिसके कारण अंदर के कोयले चल पड़े । सन 1916 में भोरा कॉलवरी नामक जगह पर पहला आग लगने का मामला सामने आया । जिसके बाद सन 1986 में पहला आग का निरीक्षण करवाया गया। निरीक्षण में 17 km वर्ग क्षेत्र जमीनी आग से जलते हुए पाई गई ।
History of Jharia Coal Mines :- समय पर 45% कोयले को नहीं निकालने के कारण अलग-अलग जगह पर आग लग गई । कोयले की आग को सुरंग से हवा मिली और यह धधीरे-धीरे जलताही चला गया। आग से बचाव हेतु बालू मिट्टी का प्रयोग किया गया । परंतु इसका कोई परिणाम निकल नहीं पाया । दोस्तों एक समय ऐसा था जब झरिया एक हरा भरा क्षेत्र हुआ करता था । 18वीं शताब्दी में शुरू हुई कोयले के खेल ने झरिया को आग की मिट्टी बना कर रख दी ।
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झरिया कोयला खदान की विशेषता | Features of Jharia Coal Mine
- दोस्तों झरिया के कोयला खदानों के कारण झरिया प्रसिद्ध होता चला गया है ।
- झरिया के कोयला खदानों ने लोगों को एक काम का जरिया प्रदान किया है ।
- ऐसा यहां स्थानीय लोगों का कहना है कि धनबाद जिले का विकास के पीछे झरिया का काफी बड़ा योगदान रहा है। धनबाद की चमक धमक झरिया के कोयला खदानों की देन है।
- झरिया में उच्च गुण वाले कोयले पाए जाते हैं । जो आय का एक बहुत बड़ा स्रोत हैं ।
- पिछले 3 सालों में लगभग 3 करोड़ 17 टन कोयला राख हो जाने के बावजूद भी लगभग 1 अरब 86 किलो टन कोयला अभी भी बचा हुआ है ।
- झरिया के खदानों से मिलने वाला कोयला काफी कीमती है । देश में कोयला से बनने वाले वस्तुओं के लिए झरिया एक बहुत बड़ा कोयला का स्रोत है ।
झरिया के खानों का योगदान | Contribution of the mines of Jharia
History of Jharia Coal Mines :- दोस्तों झरिया की बड़ी आबादी गरीब है । जिसके कारण यहां पर दैनिक रोजगार की काफी समस्याएं हैं। जिसमे झरिया के खानों ने थोड़ा थोड़ा बेरोजकारी को कम किया है। कोयले कई लोगों को रोजगार व काम दिलवाया है । लोगों को इस कोयला खदानों में उचित वेतन मिलता है। कोयला देश के लिए काफी जरूरी व महत्वपूर्ण ऊर्जा का संसाधन है । जिसके लिए हमें इसका ध्यान रखना चाहिए ।
History of Jharia Coal Mines :- झारखंड राज्य खनिज संपन्न राज्य है। यहां के खान और खनिज काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसी प्रकार हमारे धनबाद के पास कोयले की कई क्षेत्र हैं । लगभग 112 कोयला खदान है । जिन्होंने कई प्रकार से देश को आर्थिक मदद किया है । एक अनुमान के मुताबिक 27.5 मिलियन कोयला का उत्पादन होता है। जिसमें राज्य को लगभग ₹7000 मिलियन रुपए मिलते हैं ।
झरिया धनबाद के कुछ कोयले की खदान व कंपनियां | Some coal mines and companies of Jharia Dhanbad
History of Jharia Coal Mines : – झरिया एवं रानीगंज कोयले की खदानों का नियंत्रण बीसीसीएल ( bccl ) के पास है । (Bccl)यही झरिया और रानीगंज कोल फील्ड में प्रतिनिधियों गतिविधियों और कोकिंग कोल खदानों के लिए जिम्मेवार है ।
सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड ( History of Jharia Coal Mines ) यह कोयला कंपनी है । जो देश के बिजली और इस्पात उद्योगों को कोयले की आपूर्ति करती हैं । धनबाद से 10 किलोमीटर दूर झरिया कोयले का समृद्ध भंडार है। यह क्षेत्र के नीचे कई सालों से आग लगी हुई है।
इंडियन स्कूल ऑफ माइंस एक प्रसिद्ध औद्योगिक तकनीक संस्थान है । यह विज्ञान के कई विषय जैसे खनन, भू विज्ञान, भौतिकी, पेट्रोलियम, खनिज और अन्य विषयों से जुड़ी हुई है।
कंपनी | History of Jharia Coal Mines
टाटा स्टील
भारत कोकिंग कोल लिमिटेड
ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड
इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी
FAQ
झरिया के कोयला खानों का इतिहास बताये?
झरिया 2011 तक झारखंड का 15 वा सबसे बड़ा शहर था। झरिया धनबाद शहर के निकट स्थित महानगरों की काफी ज्यादा आर्थिक मदद प्रदान करता है। झरिया को भारत की कोयला राजधानी के रूप में भी जाना जाता है ।
झरिया धनबाद के कुछ कोयले की खदान व कंपनियां के नाम बताये?
टाटा स्टील,भारत कोकिंग कोल लिमिटेड,ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड,इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी
झरिया के कोयला खानो मे आग कब लगी?
झरिया के कोयला खानो मे आग 1916 मे लगी।