Ncert Class 12 political science ch 9 वैश्वीकरण/GLOBALISATION question answer and notes 

Ncert Class 12 political science ch 9 वैश्वीकरण/GLOBALISATION question answer and notes 
Ncert Class 12 political science ch 9 वैश्वीकरण/GLOBALISATION question answer and notes 

Ncert Class 12 political science ch 9 वैश्वीकरण/GLOBALISATION question answer and notes 

विषयराजनीतिक विज्ञान
कक्षा12वीं
अध्याय9
अध्याय का नामवैश्वीकरण/GLOBALISATION
फैकल्टीआर्ट्स / Arts
बोर्डझारखंड
उपलब्धअति महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
Jac board Class 12 Political science

पाठ की मुख्य बातें 

प्रसारित हुइ तथा 21 वीं शताब्दी को वैश्वीकरण का युग माना जाने लगा है । साधारण रूप में 20 वीं शताब्दी के अंतिम दशक में वैश्वीकरण की प्रक्रिया आरंभ हुई और 10 वर्षों में काफी वैश्वीकरण का अर्थ है विश्व के सभी क्षेत्रों में रहने वाले सभी लोगों में समीपता की भावना का विकसित होना , अपने को एक परिवार के सदस्य के रूप में समझना और व्यक्तियों तथा वस्तुओं का एक स्थान से दूसरे स्थान , एक देश से दूसरे देश में बिना अधिक रोक – टोक के आना जाता तथा दूसरे के सुख – दुख से प्रभावित होना । 

जैसे परिवार के सदस्यों को रहने के लिए अलग – अलग कमरे मिल जाते हैं परंतु सभी सदस्य सभी कमरों में बेरोक – टोक आते जाते हैं , एक सदस्य के बीमार पड़ने पर सभी सदस्य चिंतित तथा प्रभावित होते हैं , एक सदस्य के जन्मदिन को सभी सदस्य मिलजुल कर खुशी से मनाते हैं जैसा कि वह उत्सव उससे ही संबंधित हो , और सभी सदस्य एक – दूसरे के जीवन विकास , व्यापार की उन्नति आदि से सकारात्मक सहयोग देते हैं , 

इसी प्रकार से दुनिया के विभिन्न देशों में रहने वाले लोग आज एक – दूसरे के इतने निकट आ गए हैं । कि वे अपने को अलग – अलग देशों के नागरिक , अलग – अलग समाजों के सदस्य न समझ कर एक ही समाज या एक ही परिवार के सदस्य समझने लगे हैं और एक – दूसरे की गतिविधियों से प्रभावित होते हैं तथा प्रभावित करते हैं । 

अब संसार के लोगों द्वारा व्यापार आदि के साझे नियम बनाने की ओर कदम उठने लगे हैं जिसके लिए विश्व व्यापार संगठन स्थापित किया गया है । यही वैश्वीकरण है । वैश्वीकरण के कारण राज्यों की सीमाओं पर लगी कड़ी चौकसियाँ शिथिल होने लगी हैं और कई देशों में व्यक्तियों तथा वस्तुओं पर जो कड़े नियम तथा पासपोर्ट और परमिट आदि की बाध्यताएँ लगी हुई थीं , वे शिथिल हुई हैं और उन्होंने मुक्त व्यापार की नीति अपनाई है । 

आज अपने घर में बैठकर ही एक व्यक्ति संसार के किसी भी भाग की व्यापारिक गतिविधियों में भाग लेता है और सूचनाओं का स्वतंत्रतापूर्वक आदान – प्रदान होता है । आज एक देश में घटने वाली घटना चाहे वह राजनीतिक हो , आर्थिक हो या सांस्कृतिक हो , उसके प्रभाव अन्य देशों के पर पड़ते हैं , उनसे केवल उसी देशों के नागरिक प्रभावित नहीं होते बल्कि सारे संसार के लोग प्रभावित होते हैं । 

आज एक देश का नागरिक दूसरे देशों में भी कई कंपनियाँ चलाते देखा जा सकता है । एक देश की बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ संसार के दूसरे देशों में बड़े – बड़े नगरों में व्यापारिक गतिविथियाँ चलाती दिखाई देती हैं । देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं की तेज गतिशीलता है । भारत में बहुत – सी विदेशी कंपनियाँ विशेषकर बीमा उद्योग , संचार उद्योग , जनसंचार आदि में सक्रिय रूप से व्यापार में लगी हुई हैं । 

आज विभिन्न संस्कृतियों का मेलजोल भी बढ़ा है और सभी ने एक – दूसरे को प्रभावित किया है । ये सभी उदाहरण वैश्वीकरण की हैं । लोगों वैश्वीकरण के दोनों पक्ष है- सकारात्मक पक्ष भी और नाक पक्ष भी । अर्थात् इसके लाभ भी हैं और हानियाँ भी इसकी प्रशंसा भी हुई है और आलोना तथा विरोध भी । इसने लोगों के आने – जाने में सुविधा प्रदान की है तो आतंकवादी गतिविधियों में बढ़ोतरी भी की है । इसने प्रभुसत्ता को भी प्रभावित किया है और अमीर – गरीब के बीच की खाई को भी चौड़ा किया है । 

भारत में तथा अन्य देशों में वैश्वीकरण के विरुद्ध आंदोलन तथा विरोध भी हो रहे हैं । समय के बदलने से समाज में परिवर्तन आता है , संसार में परिवर्तन आता है , विश्व राजनीति में परिवर्तन आता है । 

POLITICAL SCIENCE – XII ( PART – A ) very short Answer type question

Ncert Class 12 political science ch 9 वैश्वीकरण/GLOBALISATION question answer and notes 
Ncert Class 12 political science ch 9 वैश्वीकरण/GLOBALISATION question answer and notes 

Q.1 . संचार साधनों के कारण वैश्वीकरण को कैसे बढ़ावा मिला ? इनके कारण संचार की क्रांति दिखाई देती है । 

Ans . 

1. प्रौद्योगिकी के विकास से अनेक संचार साधनों टेलीफोन , टेलीग्राफ और माइक्रोचिप 

2. संचार साधनों से लोगों का आपसी संबंध बढ़ गया । इसके माध्यम से पूंजी , विचार , वस्तुओं और लोगों की आवाजाही में पर्याप्त उन्नति हुई । इस प्रकार वैश्वीकरण को बढ़ावा मिला । अवधारणा पुरानी पड़ गई है और इसका स्थान न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य ने ले लिया है । 

Q. 2. क्या वैश्वीकरण के कारण कल्याणकारी राज्य के स्वरूप में अंतर आया है ? 

Ans . 

1. वैश्वीकरण का कल्याणकारी राज्य के स्वरूप पर बुरा असर पड़ा है । अब यह कार्य करता है । सामाजिक और आर्थिक कल्याण का कार्य समाप्त हो गया है । 

2. इसके कार्य सीमित हो गये है । यह कानून और व्यवस्था तथा नागरिकों की सुरक्षा का कम्पनियाँ सभी देशों में अपने पाँव पसार चुकी हैं । 

Q.3 . बहुराष्ट्रीय निगमों ने सरकारों को कैसे प्रभावित किया है ? 

Ans . 1. वैश्वीकरण के विकास में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का बहुत अधिक योगदान है । 

2. विभिन्न देशों में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो गयी है । फलस्वरूप सरकारें स्वयं कोई निर्णय नहीं ले पा रही हैं । अर्थात् सरकारों के निर्णय लेने की क्षमता में कमी आई है । 

Q. 4. क्या वैश्वीकरण से राज्य की ताकत में इजाफा हुआ है ? 

Ans . 1. कुछ लोगों का मानना है कि वैश्वीकरण से राज्य की ताकत में इजाफा हुआ है । अब राज्य के अंतर्गत उच्च कोटि की प्रौद्योगिकी मौजूद है । 

2. प्रौद्योगिकी के माध्यम से राज्य अपने नागरिकों के विषय में अधिक सूचनायें एकत्र कर सकता है । इस सूचना के आधार पर राज्य अधिक व्यवस्थित ढंग से काम कर सकता है । इससे उनकी क्षमता बढ़ती है । स्पष्ट है कि राज्य ताकतवर हो गया है । 

Q.5. आर्थिक वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं ? 

Ans . 1. आर्थिक वैश्वीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें विश्व के विभिन्न देशों के बीच आर्थिक गतिविधि तेज हो जाती है अर्थात् उनके बीच पूँजी और व्यापार की आवाजाही तेज हो जाती है । 

2. कुछ आर्थिक प्रवाह स्वेच्छा से होते हैं जबकि कुछ अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं और देशों द्वारा जबर्दस्ती लादे जाते हैं । 

Q. 6 वैश्वीकरण के चलते व्यापारिक गतिविधियों में क्या वृद्धि हुई है ? 

Ans . 1. विभिन्न देशों ने आयात होने वाली वस्तुओं पर से लगभग सभी प्रतिबंध समाप्त कर दिये गये हैं । इसलिए व्यापार तेज हो गया है । प्रारंभ में संरक्षणवाद की नीति के अंतर्गत यह संभव नहीं था ।

 2. विश्व के विभिन्न देशों में पूँजी निवेश की छूट मिल गयी है । अब कुछ ही प्रतिबंध हैं । ऐसे में विभिन्न देश आपस में निवेश व्यापार को बढ़ावा दे रहे हैं । 

Q.7 . आर्थिक वैश्वीकरण की हानियाँ बताइए । 

Ans . 1. आर्थिक वैश्वीकरण के कारण संपूर्ण जनमत कई भागों में विभाजित हो गया के और विचारों में अंतर आ गया है ।

 2. सरकारें अपनी जिम्मेदारी महसूस नहीं कर रही हैं और इससे सामाजिक न्याय को भारी धक्र . लगा है । 

Q. 8. आर्थिक वैश्वीकरण को पुनः उपनिवेशीकरण क्यों कहा जाता है ?

 Ans . 1. लोगों का विचार है कि आर्थिक वैश्वीकरण में सामाजिक सुरक्षा कवच का अभाव है । लोगों का अनुमान है कि इससे धनी देशों और धनी लोगों को ही लाभ होगा , उनकी आमदनी बढ़ सकती है परंतु गरीब देशों और गरीब लोगों को फायदा नहीं होगा । 

2. उपनिवेशीकरण के अंतर्गत जायेगा । शक्तिशाली देश कमजोर राष्ट्रों पर अधिकार कर लेता था और उनके संसाधनों का उपयोग करता था और स्थानीय लोगों की स्थिति खराब होती थी । इस प्रकार की स्थिति वैश्वीकरण के कारण भी होने वाली है । 

V.V. I लघु उत्तरीय प्रश्न ( SHORT ANSWER TYPE QUESTIONS ) 

Q.1 प्रौद्योगिकी वैश्वीकरण का एक महत्वपूर्ण कारक है , विवेचना कीजिए । वैश्वीकरण में प्रौद्योगीकरण का क्या योगदान है ? 

Ans . वैश्वीकरण की धारणा तथा विकास में सबसे अधिक योगदान प्रौद्योगिकी का है क्यों इसने ही सारे संसार के लोगों का पारस्परिक जुड़ाव किया है और विभिन्न देशों तथा क्षेत्रों को आमने – सामने ला खड़ा किया है , उनकी आपसी निर्भरता को बढ़ाया है और साथ ही उन्हें यह कथन की पुष्टि करते हैं। 

• महसूस करन पर बाध्य किया है कि वे सब एक ही परिवार के सदस्य हैं । 

निम्नलिखित तथ्य इस आश्चर्यजनक वृद्धि की है । इनकी गतिशीलता बहुत तेज हुई है । 

1. प्रौद्योगिकी की प्रगति ने सारे संसार में लोगों , वस्तुओं , पूँजी और विचारों के प्रवाह में 

2. प्रौद्योगिकी की प्रगति के कारण आज संसार के किसी भी भाग में बैठा व्यक्ति हजारों – लाखों मील की दूरी पर घटने वाली घटनाओं से तुरंत ही परिचित हो जाता है और ऐसा महसूस करने लगता है कि वह उसी स्थान पर मौजूद है और उसके आसपास ही घटना घट रही है । 

3. टी.वी. पर दिखाए जाने वाले लाइव टेलीकास्ट ( Live Telecast ) से व्यक्ति हजारों मील दूर घटने वाली घटनाओं तथा मैच आदि के बारे में यह महसूस करता है कि वह उस घटना या समाप्त हो गई है । 

4. प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति के कारण अपने घर में बैठा व्यक्ति सारे संसार से जुड़ा हुआ महसूस करता है । 

Q.2 , एक कल्याणकारी राज्य में किन – किन विशेषताओं का होना जरूरी है ? 

Ans . कल्याणकारी राज्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं— 

1. लोक कल्याण ( Public Welfare ) लोक कल्याण नागरिकों का अधिकार है- रा करता है कि जनता की भलाई राज्य का कर्त्तव्य है । 

2. आर्थिक सुरक्षा ( Economic Security ) — लोक कल्याणकारी की व्यवस्था करता है । यह सभी व्यक्तियों को रोजगार , न्यूनतम जीवन स्तर अधिकतम समानता बेकारी व बीमारी राज्य आर्थिक सु की गारंटी की स्थापना करता है । वह नागरिकों के भोजन , वस्त्र , मकान , शिक्षा के समय सुरक्षा की व्यवस्था करता है । भारत एक कल्याणकारी राज्य है । भारत के संविधान में इस बात पर पूर्ण बल दिया है । 

इसके लोक कल्याणकारी होने के तीन उदाहरण निम्न प्रकार से हैं 

1. भारत राज्य जनगणना , भू – सर्वेक्षण , मौसम की जानकारी आदि इकट्ठी करता है । पर्याव के संरक्षण पर भी ध्यान रखता है । इस प्रकार वह लोक कल्याण के कार्यों को संरक्षण प्रदान करता है। 

2. भारत सरकार नीति निर्देशक सिद्धांतों को क्रियान्वित करके नागरिकों को आर्थिक सु प्रदान कर रही है । न्यूनतम जीवन स्तर की गारंटी , जवाहर रोजगार योजना , सार्वजनिक वित प्रणाली ( कम मूल्य पर अनाज उपलब्ध कराना ) , आदि कार्यक्रमों में सरकारी सहायता दी जा रही है। 

3. भारत सरकार का उद्देश्य जन – कल्याणकारी है । उसके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यो स्वरूप लोकहित है । जैसे राज्य का कर्त्तव्य है कि वह नागरिकों के मानसिक , सांस्कृतिक , सामाजि और आर्थिक विकास में सहयोग दे । 

Q3. वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभावों की चर्चा कीजिए । 

Ans: वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव- 

1. आर्थिक वैश्वीकरण वह प्रक्रिया है जिस विश्व के विभिन्न देशों के बीच आर्थिक प्रवाह तेज हो जाता है । कुछ आर्थिक प्रवाह स्वेच्छा होते हैं जबकि कुछ अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं और शक्तिशाली देशों द्वारा थोपे जाते हैं । 

2. आर्थिक प्रवाह से वस्तुओं , पूँजी और विचारों का प्रवाह होता है । वैश्वीकरण के कार वस्तुओं के व्यापार को लाभ हुआ है । 

3. वस्तुतः वैश्वीकरण के प्रभाव से पूँजी और वस्तुओं के आयात पर विभिन्न देशों द्वा प्रतिबंध समाप्त कर दिये गये हैं । इसलिए धनी देश अपना निवेश किसी अन्य देश या विशेष से विकासशील देशों में कर सकते हैं , जहाँ उन्हें अधिक लाभ हो सकता है । जुड़ी सेवाओं का विस्तार हुआ है । 

4. विचारों की दृष्टि से राष्ट्र की सीमा बाधक नहीं है । 

5. विकसित देशों ने विकासशील देशों के लिए संरक्षण नीति अपना ली है । 

Q. 4 वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभावों की विवेचना कीजिए । 

Ans . वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव – 

1. वैश्वीकरण का जनमत पर बहुत प्रभाव पड़ा है और वह पर्याप्त सीमा तक विभाजित हुआ आणि है । झ लगा है । 

2. वैश्वीकरण से सरकार के उत्तरदायित्व में कमी आई है । 

4. नौकरी , शिक्षा , स्वास्थ्य , सफाई आदि सुविधा प्राप्त करने के लिए सरकार पर आश्रित रहने वाले लोगों की स्थिति खराब हो जायेगी ।

5. वैश्वीकरण में सामाजिक सुरक्षा के अभाव के कारण विश्व के कई भागों में आंदोलन हैं। 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( LONG ANSWER TYPE QUESTIONS ) 

Q 1. वैश्वीकरण से क्या अभिप्राय है ? उदारीकरण की दिशा में भारत द्वारा अपनी नीति में किए गए मुख्य परिवर्तनों की विवेचना कीजिए ।  

Ans . पहले की में आर्थिक गतिविधियों का एक बड़ा भाग अब निजी क्षेत्र के अंतर्गत लाया जा रहा है । इसे ‘ निजीकरण ‘ ( Privatisation ) अथवा ‘ उदारीकरण ‘ ( liberalisation ) की संज्ञा दी गई है । उदारीकरण के साथ – साथ ‘ वैश्वीकरण ‘ शब्द का प्रयोग अभी पिछले कुछ वर्षों से ही होने लगा है । 

वैश्वीकरण से आशय है , ‘ व्यापार , पूँजी एवं टैक्नालॉजी के प्रवाहों के माध्यम से घरेलू अर्थव्यवस्था का शेष संसार के साथ एकीकरण एवं समन्वयन । ‘टेक्नाल जत्रा जो इस प्रकार हैं टा लिए हैं और सीमा शुल्क ( Customs ) की दरें भी कम कर दी हैं । में तेजी से पाँव पसारने लगी है । 

सरकार ने अनेक वस्तुओं के आयातों पर से मात्रात्मक प्रतिबंध • वैश्वीकरण की नीति को लागू करने के लिए भारत को बहुत – से ढाँचागत सुधार करने 

1 . दृष्टि से कुछ संवेदनशील उद्योगों को छोड़कर शेष उद्योगों के लिए लाइसेंस लेने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई ।

2. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ( Foreign Direct Investment ) को बढ़ावा दिया गया है । कुछ क्षेत्रों में शत – प्रतिशत विदेशी निवेश की इजाजत है , जैसे कि बिजली क्षेत्र और तेल शोधन का क्षेत्र । • सार्वजनिक उद्योगों को निजी क्षेत्र के अंतर्गत लाया जा रहा है । 

3. विनिवेश ( Disinvestment ) कार्यक्रम को प्रोत्साहन दिया गया है अर्थात् अनेक सकें । 

4. श्रम सुधार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण श्रम कानूनों में संशोधन किया गया है । 

Q.2 . वैश्वीकरण अथवा भूमण्डलीकरण से क्या अभिप्राय है ? इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए । 

Ans . वैश्वीकरण अथवा भूमण्डलीकरण का अर्थ ( Meaning of Globalisation ) – एक समय था जब यूनान के नगर राज्यों को आदर्श राज्य माना जाता था । नगर राज्य अपने में आत्मनिर्भर होते थे और एक राज्य की गतिविधियों का दूसरे राज्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था । 

फिर इनके स्थान पर राष्ट्र – राज्य अस्तित्व में आए और राष्ट्र तथा राज्य की सीमाएँ एक हो गईं । आरंभ में राष्ट्र – राज्य भी अपने आप में आत्मनिर्भर होते थे और एक राज्य की गतिविधियों से अन्य राज्य अथवा राष्ट्र प्रभावित नहीं होते थे ।

20 वीं शताब्दी के अंतिम 10 वर्षों में भूण्डलीकरण की प्रक्रिया आरंभ और विकसित समाप्त होने लगीं और यह समझा सभी राज्य या सदस्य हैं और सभी राष्ट्रों को एक का प्रयोग करना है । 

अंतर्राष्ट्रवाद राज्यों की सीमाएँ संसाररूपी कुटुंव के जाने लगा कि परिवार के हुई । राष्ट्र राष्ट्र – समस्त सदस्य के रूप में कार्य करना है और अपनी शक्ति के अंतर्गत राज्य अपने को प्रभुसत्ता संपन्न समझते हुए यह महसूस करते थे कि उन्हें आपस मे  मिलजुल कर एक – दूसरे से सहयोग करते हुए रहना है । 

भूमण्डलीकरण के अंतर्गत राष्ट्र राज्य को भावना और सीमा समाप्त होती जा रही है और सभी राज्य अपने को अलग नहीं बल्कि एक समझते हैं जो कि एक बड़े परिवार अर्थात् संसार के सदस्य हैं । 

आज विश्व राज्य ( World State ) की भावना बहुत विकसित हो चुकी है । जिस प्रकार एक परिवार के सदस्य आपस में मिल – जुलकर समूचे परिवार के कल्याण और विकास के लिए काम करते हैं उसी प्रकार भूण्डलीकरण के वातावरण में भी राज्य संसार रूपी परिवार के कल्याण व विकास के लिए काम करते हैं । 

इस प्रकार भूमण्डलीकरण का अर्थ है एक विश्व – एक परिवार एक राज्य की भावना भूमण्डलीकरण के वातावरण में एक राज्य के नागरिक अपने को एक राज्य या एक राष्ट्र के सदस्य तथा अन्य राष्ट्रों के सदस्यों से अलग नहीं मानते बल्कि सभी राज्य के नागरिक अपने को एक बड़े परिवार अर्थात् भूमण्डल ( संसार ) के सदस्य मानते हैं । 

संचार साधनों के विकास , सूचना तकनीकी की प्रगति , बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सभी राज्यों में अस्तित्व ने राष्ट्र – राज्यों की समय और स्थान की दूरी को कम कर दिया है और भारत में बैठा हुआ व्यक्ति अन्य राज्यों में लोगों से बात – चीत भी करता है और व्यापारिक गतिविधियों का संचालन भी । एक देश में घटने वाली घटना अन्य देशों की स्थिति पर अपना प्रभाव डालती है । 

यही भूमण्डलीकरण है । भूमण्डलीकरण का अर्थ राष्ट्र राज्यों की समाप्ति नहीं , उनकी प्रभुसत्ता का लोप नहीं और न ही उनकी क्षेत्रीय सीमाओं की समाप्ति है परंतु उनकी प्रभुसत्ता के प्रयोग पर अवश्य प्रभाव पड़ा है । अलग – अलग राष्ट्र अभी भी अपनी प्रभुसत्ता व भू – क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के पक्ष में हैं , परंतु फिर भी वे आपस में एक – दूसरे पर इतने निर्भर हो चुके हैं और होते जा रहे हैं कि एक विश्व एक भूमंडल एक बिरादरी या फिर परिसंघ – सा नजर आने लगा है । 

अतः भूमण्डलीकरण का साधारण शब्दों में अर्थ हुआ – कम – से – कम अलगाव , विभिन्न राज्यों में सहयोग और एकता में बढ़ोतरी । वास्तविकता तो यह हैं कि भूमण्डलीय व्यवस्था के अंतर्गत अनेकों संस्थाएँ और समुदाय एक – दूसरे से इतने घुल – मिल रहे हैं और एक – दूसरे पर प्रत्येक दृष्टि से इतने निर्भर होते जा रहे हैं कि वे एक – दूसरे के बिना अस्तित्व में रह ही नहीं सकते । आधुनिक विकास ने , यातायात व संचार के विकास ने क्षेत्रीय दूरी को कम ही नहीं किया है बल्कि समाप्त कर दिया है । 

राष्ट्रीय सीमाएँ धुंधली पड़ती जा रही हैं । व्यापार की दृष्टि से विभिन्न राष्ट्रों के लोग एक – दूसरे के यहाँ जाते हैं । लोग विदेशों में घूमने जाते हैं । यही नहीं हम अपने घरों में बैठे परस्पर प्रत्येक प्रकार का वार्तालाप करते हैं । राष्ट्र – राज्यों की आपसी दूरी को कम करने वाले इस आर्थिक , सामाजिक की सत्ता में कमी आई व राजनीतिक मेल – मिलाप को ही भूमण्डलीकरण कहा जाता है तथा यह नई उभरने वाली प्रणाली ही भूमण्डलीकरण व्यवस्था है । 

भूमण्डलीय व्यवस्था के कारण राष्ट्र – राज्यों है । आंतरिक व बाह्य दबावों के कारण राष्ट्रीय सीमाओं में छिद्र भूमण्डलीकरण के वातावरण में नागरिकों के अनेक उद्देश्यों की हो रहे हैं । विभिन्न पूर्ति के लिए सहयोग करना पड़ रहा है जैसे शांति बनाए रखने , आर्थिक निर्भरता , प्रदूषण की रोकथाम , उग्रवादियों को रोकना , को भयंकर रोगों से लड़ना , आर्थिक मंदी का सामना करना आदि । 

Q3 . विश्वव्यापी स्तर पर वैश्वीकरण के विरोध की चर्चा करें । 

Ans . वैश्वीकरण का विश्वव्यापी प्रतिरोध ( Global Opposition Globalisation ) वैश्वीकरण का भारत में ही नहीं बल्कि सभी देशों में विरोध हुआ है । र एक विवाद योग्य मुद्रा है और आज तो सभी देशों में इसके अच्छे – बुरे पक्ष पर विवाद होता है । निम्नलिखित तथ्य इसके विश्वव्यापी विरोध की पुष्टि करते हैं

1. मार्क्सवादी विचारधारा के समर्थक इसका विरोध इस आधार पर करते हैं कि यह का साधन मानते हैं । इससे पूँजीवादी व्यवस्था का विस्तार होगा , पूँजीपति और अधिक अमीर होने पूँजीवादी व्यवस्था का समर्थक है । मार्क्सवादी इसे साम्राज्यवादी तथा पूँजीवादी व्यवस्था के विस्तार तथा गरीब लोग और अधिक गरीब होते जाएँगे । 

2. बहुत – से विचारक वैश्वीकरण को अमीरों और अमीर देशों की रक्षा का साधन मानते हैं और इस वातावरण में गरीब तथा श्रमिकों के हितों की सुरक्षा नहीं होती ।

 3. कुछ विचारकों का कहना है कि क्योंकि वैश्वीकरण से राज्य की प्रभुसत्ता तथा सीमाओं पर राज्य के नियंत्रण पर प्रभाव पड़ता है , इससे राज्य की क्षमता में कमी आती है और वह कानून और व्यवस्था को अच्छी प्रकार से बनाए रखने में प्रभावी नहीं होगा । इससे सीमापार आतंकवाद ( Cross Border Terrorism ) के फैलने की संभावना बढ़ेगी । 

4. वैश्वीकरण से राज्य की समाज कल्याण , सामाजिक न्याय तथा सामाजिक सुरक्षा संबंधी गतिविधियों में कमी आने की संभावना है । ऐसी अवस्था में समाज के कमजोर तथा पिछड़े वर्गों को जो राज्य की सहायता पर निर्भर रहते हैं और अधिक लाचारी , अभाव , भूख और शोषण का सामना करना पड़ेगा । इससे अमीर – गरीब के बीच की खाई भी चौड़ी होगी और सामाजिक तनाव में भी वृद्धि होगी । 

5. तीसरी दुनिया के देशों का कहना है कि क्योंकि विश्वव्यापी संस्थाओं जैसे विश्व बैंक , अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष , विश्व व्यापार संगठन आदि पर पश्चिमी विकसित तथा धनी देशों का प्रभुत्व है । अतः वे उनका प्रयोग अपने हित की पूर्ति के लिए करेंगे , समस्त संसार के हित के लिए नहीं और इससे गरीब देशों के हितों की अनदेखी होगी । 

6. ऐसा महसूस किया जा रहा है कि विश्व व्यापार संगठन व्यापार के ऐसे नियम तथा तौर – तरीके अपनाना चाहता है जो सभी देशों के लिए उचित नहीं माने जाते । इस कारण 1999 में सिएटल ( Seatle – USA ) में हुई विश्व संगठन की मंत्रीस्तरीय बैठक का कड़ा तथा हिंसात्मक विरोध प्रदर्शन हुआ । यह आरोप था कि विकासशील देशों के हितों की अनदेशी की जा रही है । 

7. वैश्वीकरण का विश्वव्यापी विरोध करने के उद्देश्य से वर्ल्ड सोशल फोरम ( World Social Forum ) की स्थापना हुई । इसमें मानवाधिकारवादी कार्यकर्ता , पर्यावरणवादी – कार्यकर्ता , श्रमिक , महिला कार्यकर्ता तथा युवा समाजसेवी सम्मिलित हैं । इसका गठन 2001 में हुआ था और इसकी चौथी बैठक मुंबई , भारत में हुई थी । जनवरी 2007 में इसकी 7 वीं बैठक नैरोबी ( केनिया ) में हुई थी । ये वैश्वीकरण का विरोध करते हैं क्योंकि इससे सामाजिक कल्याण और सामाजिक न्याय की प्राप्ति में बाधा आती है । इसीलिए वैश्वीकरण का विरोध हो रहा है ।

FAQ
किस शताब्दी को वैश्वीकरण का युग माना जाता है

21वी शताब्दी को वैश्वीकरण का युग माना जाता है

सोशल फोरम की स्थापना किस कारण से हुई

वैश्वीकरण का विश्वव्यापी विरोध करने के उद्देश्य से वर्ल्ड सोशल फोरम ( World Social Forum ) की स्थापना हुई ।

वर्ल्ड सोशल फोरम का गठन कब हुआ

वर्ल्ड सोशल फोरम का गठन 2001 में हुआ था।