Political science class 12 chapter 2 notes in hindi | दो ध्रुवीयता का अंत Notes in Hindi

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political science class 12 chapter 2 notes in hindi

Political science class 12 chapter 2 notes in hindi question answers

Q. 1 , बर्लिन की दीवार क्यों प्रसिद्ध है ?

Ans . political science class 12 notes:-
( i ) शीतयुद्ध के चरम बिंदु की प्रतीक बर्लिन की दीवार है जिसका निर्माण 1961 में हुटा था और पश्चिमी बर्लिन और बर्लिन को एक – दूसरे से अलग करती थी ।
( ii ) यह साम्यवाद के पतन की भी प्रतीक है । 9 नवम्बर , 1989 में इस दीवार को तोड़ दिया गया । यह दोनों जर्मनी के एकीकरण और साम्यवादी खेमे की समाप्ति की शुरूआत थी ।

Q.2.1917 ई . की रूसी क्रांति के क्या कारण थे ?

Ans .
( i ) यह क्रांति पूँजीवादी व्यवस्था के विरोध में हुई रूस का जार इसको छोड़ने को तैयार नहीं था ।
( ii ) रूस में लोग समाजवाद के आदर्शों और समतामूलक समाज की स्थापना करना था । यह मानव इतिहास में निजी संपत्ति की संस्था को समाप्त करने और समाज को समानता के सिद्धांत पर सक्रिय रूप से रचने की सबसे बड़ी कोशिश थी । इसी क्रांति के पश्चात् समाजवादी सोवियत गणराज्य की रूस में स्थापना हुई ।

3. दूसरी दुनिया से आप क्या समझते हैं ?

Ans . political science class 12 notes:-
( i ) द्वितीय विश्व युद्ध पश्चात् पूर्वी के देश सोवियत संघ के प्रभाव में आ गये थे । वस्तुतः सोवियत ने इन्हें फासीवादी ताकतों से मुक्त कराया था । इन सभी देशों की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को सोवियत संघ की समाजवादी प्रणाली की तर्ज पर ढाला गया । इन्हें ही समाजवादी खेमे के देश का दूसरी दुनिया कहते हैं ।
( ii ) इस गुट का नेता समाजवादी सोवियत गणराज्य था इसमें इसके अलावा युगोस्लाविया , चैकोस्लोवाकिया , पूर्वी जर्मनी , एस्टोनिया , लातविया आदि देश थे ।

Q. 4. सोवियत प्रणाली की दो कमियाँ बताइए ।

Ans .
( i )political science class 12 notes :- सोवियत प्रणाली पर पर नौकरशाही का नियंत्रण स्थापित हो गया था । जिससे ये प्रणाली सत्तावादी हो गई । इसके कारण नागरिकों का जीवन कठिन होता गया । लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अभाव हो गया था ।
( ii ) सोवियत संघ में एक दल यानी कम्युनिस्ट पार्टी का शासन था और इस दल का भी संस्थाओं पर गहरा अंकुश था । यह दल जनता के प्रति जवाबदेह नहीं था ।

Q.5 . जोजेफ स्टालिन की दो उपलब्धियाँ बताइए ।

Ans .

( i ) political science class 12 notes :- यह लेनिन का उत्तराधिकारी और सोवियत संघ का फासिस्ट प्रशासक था । इसके काल में सोवियत संघ एक महाशक्ति के रूप स्थापित हो गया ।
( ii ) इसने औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया और खेती का बलपूर्वक सामूहिकीकरण किया । 1930 के दशक में अपनी पार्टी के अंदर अपने विरोधियों को कुचलने और तानाशाही रवैया अपनाया ।

Q. 6. स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रकुल क्या है ?

Ans .

( i )political science class 12 notes :- रूस , बेलारूस और उक्रेन ने 1922 की सेवियत संघ के निर्माण से संबद्ध संधि को समाप्त करने का निर्णय किया और स्वंतत्र राष्ट्रों का राष्ट्रकुल बनाया ।
( ii ) आर्मेनिया , अजरबेजान , माल्दोवा , रुजाकिस्तान , किरणीझस्तान , ताजिकिस्तान , तुर्कमेनिस्तान और उज्वेकिस्तान राष्ट्रकुल में शामिल था ।
( iii ) संयुक्त राष्ट्रसंघ में सोवियत संघ की सीट रूस को मिली

Q. 7. निकिता ख्रुश्चेव का संक्षिप्त परिचय दीजिए ।

Ans .political science class 12 notes :- निकिता ख्रुश्चेव ( Nikita Khrushchev ) ( 1894-1971 ) – वह सोवियत संघ राष्ट्रपति 1953 से 1964 तक रहे । वह स्टालिन की तानाशाही एवं अधिनायकवादी नेतृत्व के कट्टर आलोचक थे । उन्होंने 1956 में अपने देश में कुछ सुधार लागू किये थे । उन्होंने पशि के साथ ‘ शांतिपूर्ण सहअस्तित्व ‘ का सुझाव रखा , हंगरी के जन – विद्रोह के दमन और क्यूबा मिसाइल संकट में शामिल ।

Q.8 . लिओनिड ब्रेझनेव का संक्षिप्त परिचय दीजिए ।

Ans . लिओनिड ब्रेजनेव ( Leonid Brezhnev ) – वह 1906 में उत्पन्न हुए थे 1982 ई . में उनका देहान्त हुआ था । पवह सन् 1964 से 1982 तक सोवियत संघ के राष्ट्र रहे थे । उन्होंने एशिया की सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था का सुझाव दिया था ।

वह सोवियत संघ तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य सम्बन्ध सुधारने तथा पारस्प तनाव में कमी लाने के लिए प्रयत्नशील रहे लेकिन उन्होंने चेकोस्लोवाकिया के जन – विद्रोह दमन किया । उन्होंने अफगानिस्तान पर सोवियत संघ का सैन्य आक्रमण कराया जिनके बहुत दुःखद प्रभाव अफगानों को उठाने पड़े ।

अन्य देखे:- 

Q. 9. मिखाइल गोर्बाचेव कौन थे ? उनके द्वारा किये गये सुधारों एवं अच्छे क का उल्लेख कीजिए ?

Ans . मिखाइल गोर्बाचेव ( Mikhail Gorbachev ) — उनका जन्म 1931 में हुआ वह सोवियत संघ के अन्तिम राष्ट्रपति ( 1985-1991 ई . तक ) थे । उनका नाम रूसी इति में सुधारों के लिए जाना जाता है । उन्होंने पेरेस्त्रोइका ( पुनर्रचना ) और ग्लासनोस्त ( खुलेपन आर्थिक और राजनीतिक सुधार शुरू किए । गोर्बाचेव ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ हथि की होड़ पर रोक लगाई ।

अफगानिस्तान और पूर्वी यूरोप से सोवियत सेना वापस बुलाई अन्तर्राष्ट्रीय तनाव को कम करने की दृष्टि से उनका एक बहुत ही अच्छा कार्य थान वह ज के एकीकरण में सहायक बने । उन्होंने शीतयुद्ध समाप्त किया । उन पर सोवियत संघ के वि का आरोप लगाया जाता है , लेकिन उन्होंने वस्तुतः सोवियत संघ के लोगों को राजनीतिक से मुक्ति दिलायी ।

Q. 10. बोरिस येल्तसिन का संक्षिप्त परिचय एवं महत्त्वपूर्ण कार्यों का भी उल् कीजिए ।

Ans . political science class 12 notes :- बोरिस येल्तसिन ( Boris Yeltsin ) — उनका जन्म 1931 में हुआ था । वह रू प्रथम चुने हुए राष्ट्रपति बने । इस पद पर उन्होंने 1991 से 1999 तक कार्य किया वह कम्यु पार्टी ने सत्ता केन्द्र तक पहुँचे । राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव द्वारा उन्हें मास्को को मेयर बनाया थां कालान्तर में वह गोर्बाचेव के आलोचकों में शामिल हो गये थे और उन्होंने कम्युनिस्ट से त्यागपत्र दे दिया था ।

उन्होंने 1991 में सोवियत संघ के शासन के विरुद्ध उठे वि आन्दोलन  को नेतृत्व प्रदान किया । उन्होंने सोवियत संघ के विघटन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभ थी । उन्हें साम्यवाद से पूँजीवाद की ओर संक्रमण की दौरान रूसी लोगों को हुए कष्ट के जिम्मेदार ठहराया गया ।

Q. 11. शॉक थेरेपी का एक दुःखदायी आर्थिक दुष्परिणाम लिखिए ।

Ans . political science class 12 notes:- रूस में कुल डेढ़ हजार बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान थे जिनमें से लगभग  ‘ शॉक थेरेपी ‘ के परिणामस्वरूप दिवालिया हो गया । एक ऐसा ही बैंक इकॉम नामक था । रूस इस दूसरे सबसे बड़े बैंक इकॉम के दिवालिया होने से ग्राहकों के अलावा दस हजार कंपनियों अ शेयरधारकों की जमा पूँजी भी डूब गई ।

political science class 12 chapter 1 notes in hindi

SEB लघु उत्तरीय प्रश्न ( SHORT ANSWER TYPE QUESTIONS )

1. बर्लिन की दीवार का वर्णन कीजिए ।

Ans . बर्लिन की दीवार—
( i ) जर्मनी में स्थित बर्लिन की दीवार राजनैतिक और , ऐतिहासिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है । इस दीवार का निर्माण साम्यवादी और पूँजीवादी लोगों को अलग करने के लिए 1961 में किया गया था जो 150 मि . मी . लंबी थी ।
( ii ) 28 वर्षों तक यह दीवार खड़ी रही सोवियत संघ के पतन के पश्चात जनता ने इसे 9 नवंबर , 1989 को तोड़ दिया । ( iii ) यह दोनों जर्मनी ( पूर्वी और पश्चिमी ) के एकीकरण और साम्यवादी खेमे की समाप्ति की शुरुआत थी ।
( iv ) यह शीतयुद्ध की समाप्ति और दूसरी दुनिया की समाप्ति की भी प्रतीक थी ।

Q. 2. द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था क्या थी ?

Ans . द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् सेवियत संघ की अर्थव्यवस्था :-
( i ) सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था अमेरिका के अलावा विश्व के अन्य देशों से अच्छी थी ।
( ii ) सोवियत संघ की संचार प्रणाली विकसित थी । उसके पास विशाल ऊर्जा संसाधन था जिससे खनिज , तेल , लोहा और इस्पात तथा मशीनरी उत्पाद शामिल थे ।

Q. 3. मिखाइल गोर्बाचेव के काल में सोवियत संघ में घटित घटनाओं का वर्णन कीजिए ।

Ans . मिखाइल गोर्बाचेव के काल में सोवियत संघ में घटित घटनायें :-political science class 12 notes


( i ) 1980 के दशक के मध्य में सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव गोर्बाचेव बने । वे सोवियत संघ में पश्चिम के समान सूचना और प्रौद्योगिकी का विकास करना चाहते थे ।

( ii ) इसके लिए गोर्बाचेव ने पश्चिम के देशों के साथ संबंधों को सामान्य बनाने , सोवियत संघ को लोकतांत्रित रूप देने और वहाँ सुधार करने का फैसला किया परंतु इसका परिणाम अच्छा नहीं रहा ।


( iii ) पूर्वी यूरोप के देश सोवियत खेमे के हिस्से में थे । इन देशों की जनता ने अपनी सरकार और सोवियत नियंत्रण का विरोध शुरु कर दिया । गोर्बाचेव ने इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं किया । फलस्वरूप पूर्वी यूरोप की साम्यवादी सरकारें एक के बाद एक गिर गईं ।


( iv ) सोवियत संघ के की गति तेज हो गई । अंदर भी संकट गहरा रहा था ।


( v ) गोर्बाचेव ने देश के अंदर आर्थिक राजनीतिक सुधारों और लोकतंत्रीकरण की नीति चलायीं इन सुधार नीतियों का कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं द्वारा विरोध किया गया ।

Q. 4. सोवियत संघ के विघटन में येल्तसिन की भूमिका का उल्लेख कीजिए ।

Ans . सोवियत संघ के विघटन में येल्तसिन की भूमिका :-political science class 12 notes


( i ) कम्युनिस्ट पार्टी के उग्रवादियों के उकसाने से सोवियत संघ में 1991 ई . में एक सैनिक तख्ता पलट हुआ । येल्तसिन ने इस तख्ता पलट के विरोध में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और एक नायक के समान उनका उदय हुआ ।

(  ii ) बोरिस येल्तसिन ने आम चुनाव जीता था और वे राष्ट्रपति बने । उनके काल में सोवियत गणराज्यों ने केन्द्रीकृत नियंत्रण स्वीकार नहीं किया । फलस्वरूप सत्ता मास्को से गणराज्य की ओर खिसकने लगी ।


( iii ) सत्ता में परिवर्तन सोवियत संघ के उन भागों में हुआ जो अधिक यूरोपीकृत थे औ अपने को संप्रभु राज्य मानते थे ।

( iv ) आश्चर्य की बात है कि मध्य एशियाई गणराज्यों ने अपने लिए स्वतंत्रता की माँग न की । वे सोवियत संघ के साथ रहना चाहते थे ।


( v ) दिसम्बर 1991 दिसम्बर में येल्तसिन के नेतृत्व में सोवियत संघ के तीन बड़े गणराज रूस , यूक्रेन और बेलारूस ने सोवियत संघ की समाप्ति की घोषणा की ।

5 . सोवियत संघ के विघटन के कारण बताइये ।

Ans . सोवियत संघ के पतन के कारण–political science class 12 notes
( i ) सोवियत संघ की राजनीतिक – आर्थि संस्थाओं आंतरिक रूप से कमजोर थी जिसके कारण लोगों की आकांक्षाओं को पूरा न कर सके ।


( ii ) कई वर्षों तक अर्थव्यवस्था गतिरुद्ध रही । इससे उपभोक्ता वस्तुओं की कमी हो ग फलस्वरूप लोग अपनी सरकारों से असंतुष्ट गये ।


( iii ) सोवियत संघ पर कम्युनिस्ट पार्टी ने 70 सालों तक शासन किया और यह पार्टी जन के प्रति जवावदेह नहीं रह गई थी । इसलिए लोग सरकार से अपने को अलग महसूस कर रहे।

Q.7 . सोवियत संघ के पतन के क्या परिणाम हुए ?

Ans . सोवियत संघ के पतन के परिणाम:-
(i) इसका अच्छा परिणाम यह रहा कि दूसरी मुि दुनिया के पतन से शीतयुद्ध का अंत हो गया । विश्व में संघर्षों और तनाव का अंत हो गया ।


( ii ) हथियारों की होड़ , परमाणु हथियारों का संचय और सैनिक गुटों का विभाजन समाप्त हो गया । इससे बहुत सीमा तक शांति स्थापित हुई ।


( iii ) विश्व राजनीति में शक्ति – संबंधों में परिवर्तन आया और परिणामस्वरूप विचारों और संस्थाओं के आपेक्षिक प्रभाव में भी अंतर आया । महाशक्ति के रूप में सोवियत संघ का विघटन हो गया और अमरीका अकेला महाशक्ति के रूप में कायम है ।


( iv ) अमरीका के पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के समर्थक होने से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसको बढ़ावा मिला है ।


( v ) पूँजीवाद की समर्थक संस्थायें – विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष जैसी संस्थायें विभिन्न देशों की शक्तिशाली सलाहकार बन गई हैं ।

Q. 8. सोवियत संघ के विघटन ने किस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित किया ?

Ans . सोवियत संघ के विघटन से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर प्रभाव-
( i ) सोवियत संघ के पतन से नये देशों का उदय हुआ जिसकी अपनी पहचान और पसंद है । नाटो के समर्थक बने


( ii ) बाल्टिक गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देश यूरोपीय संघ में शामिल होना चाहते है।


( iii ) मध्य एशियाई देश रूस को साथ जुड़े रहे और पश्चिमी देशों ने अमरीका , चीन तथा देशों के साथ संबंध बनाये । 

Q. 13. भारत – रूस संबंध से एक – दूसरे को क्या लाभ हुए हैं ?

Ans . भारत – रूस संबंध से एक – दूसरे का लाभ –
( i ) इस संबंध से भारत को कश्मीर , ऊर्जा आपूर्ति , अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से संबंधित सूचनाओं को आदान प्रदान , पश्चिम एशिया में पहुँच बनाने तथा चीन के अपने संबंधों में संतुलन लाने जैसे मसलों में लाभ हुए हैं ।


( ii ) भारत रूस के लिए हथियारों का दूसरो सबसे बड़ा खरीददार देता है । भारतीय सेना की अधिकांश सैनिक साजो – सामान रूस का होता है ।


( iii ) भारत रूस के लिए इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि वह रूस से तेल आयात करता है ।


( iv ) भारत रूस से अपने ऊर्जा आयात को भी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है ।


( v ) रूस भारत की परमाणविक योजना के लिए भी महत्त्वपूर्ण है ।


( vi ) रूस से भारत को अंतरिक्ष उद्योग में भी सहायता मिलती है । दोनों विभिन्न वैज्ञानिक परियोजनाओं में भी साझीदार हैं ।

Q.10 शॉक थेरेपी के प्रमुख परिणामों को इंगित कीजिए । 

Ans . शॅक थेरपी के प्रमुख परिणाम-
( i ) शॉक वादों की उपेक्षा की गई और जनता को बर्बादी में डाल थे । थेरेपी का परिणाम अच्छा नहीं हुआ । 


( ii ) संपूर्ण रूस राज्य का औद्योगिक ढाँचा चरमरा गया लगभग सभी उद्योग निजी हाथों को बेच दिया गया । वस्तुतः इस नीति का संचालन सरकार न करके बाजार की शक्तियाँ कर रही थीं । इसलिए उद्यागों की बर्बादी हुई । इसे ‘ इतिहास की सबसे बड़ी गराज सेल ‘ के नाम से जाना गया । इसके अंतर्गत उद्योगों की कीमत कम लगायी गयी और उन्हें बेदाम बेचा गया ।


( iii ) यह खरीद कालाबाजारियों द्वारा की गई क्योंकि जनता ने अपना अधिकार – पत्र इनको बेच दिया था ।


( iv ) रूसी मुद्रा रूबल के मूल्य में अजीब ढंग से भारी गिरावट आ गई ।


( v ) मुद्रा स्फीति में इतनी अधिक वृद्धि हुई कि लोगों की जमा – पूँजी भी समाप्त हो गयी । और भारत के आर्थिक संबंधों की चर्चा कीजिए ।


प्रश्न ( LONG ANSWER TYPE QUESTIONS ) | political science class 12 notes:-

Q. 1. सोवियत संघ का विघटन कैसे हुआ ? इसके विघटन के क्या कारण थे ?

Ans:- 1979 में सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में हस्तक्षेप किया , हाँ की सत्तारूढ़ सरकार को अपदस्थ करवाकर साम्यवादी सरकार स्थापित की और सोवियत ना भी तैनात कर दी । इस कदम ने उसकी लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को और भी धक्का लगा 1985 में सोवियत संघ की बागडोर मिखाईल गोर्बाचोव ने सँभाली उसने महसूस किया कि वियत संघ शासन व्यव्स्था तथा अर्थव्यवस्था दोनों में ही सुधार की आवश्यकता है ।

political science class 12 notes:-उसने रेस्त्रोइका . ( पुनर्गठन ) तथा ग्लासनोस्त ( खुलापन ) की नीति अपनाई । उसका विचार था कि वियत संघ की अर्थव्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है और वह खुलेपन को अपनाए बिना हीं आ सकता । पुनर्गठन से अभिप्राय था लोगों का मानसिक और नैतिक स्थिति में सुधार लाना और उसके लिए लोगों को विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दिया जाना तथा साम्यवादी दल की नाशाही को समाप्त किया जाना आवश्यक है ।

political science class 12 notes:- वह राज्य द्वारा नियंत्रित अर्थव्यवस्था के स्थान र बाजार पर आधारित अर्थव्यवस्था के पक्ष में था । वह दूसरे देशों के साथ समझौतावादी टनीति , लोकतंत्र तथा बाजार अर्थव्यवस्था का समर्थक था । वह बहुलवादी दलीय व्यवस्था का भ मर्थक था । उसने पश्चिम के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिए तुरंत कदम उठाए ।

नवंदन 985 को अमेरिकन राष्ट्रपति रीगन और गोर्वाचोव के मध्य जेनेवा वार्ता हुई और दोनों के बीच ड़े महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति हुई । दोनों नेता परमाणु युद्धों को रोकने , हथियारों की दौड़ प यंत्रण स्थापित करने , परमाणु तथा रासायनिक परीक्षण रोकने , आपस में सांस्कृतिक , शैक्षिक ज्ञानिक तथा आर्थिक संबंधों को आरंभ करने और अपने – अपने देश में दूसरे के वाणिज् आवास खोलने को सहमत हुए ।

अक्टूबर 1986 में दोनों नेताओं के बीच एक और शिखर वात जो रिकाजाविक ( आईसलैंड ) के स्थान पर हुई । परंतु इसमें सफलता कुछ भी न मिली । दिसंबर 1987 में दोनों नेताओं के बीच फिर एक शिखर वार्ता हुई जिसके फलस्वरूप एक तिहासिक संधि पर हस्ताक्षर हुए । इसके अनुसार दोनों देशों के बहुत से परमाणु हथियारों तथ साइलों का नष्ट किया जाना निश्चित हुआ ।

जून 1988 में दोनों नेताओं के बीच मास्को में खर वार्ता हुई और भूमिगत परमाणु विस्फोटों पर पाबंदी की साझा जाँच हेतु सहमति हुई । 8 दिसंबर , 1988 को संयुक्त राष्ट्र संघ में गोर्बाच्योव ने वक्तव्य दिया कि सोवियत संघ पूर्व प देशों से अपने 5 लाख सैनिक वापस बुला लेगा और हथियारों में कटौती करेगा । दिसंब 89 में अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शिखर वार्ता हुई ।

इस प्रकार दोनों गुटों के बीच मान्य संबंधों की स्थापना की प्रक्रिया आरंभ हुई जो अंत में शीत युद्ध के अंत का कारण बनी मिखाइल गोर्बाच्योव के उदारवादी विचारों का प्रभाव पूर्वी यूरोप के साम्यवादी शासन प्रणाल गों पर भी पड़ा । इन देशों की जनता ने भी अपने देशों के साम्यवादी दल की तानाशाही क द्ध आवाज उठाई , आंदोलन किए और लोकतंत्र की स्थापना की माँग की ।

political science class 12 notes:-परिणामस्वरूप इन देशों में साम्यवादी शासन व्यवस्था धराशायी होती गई । गोच्योव ने देश के अंदर आर्थिक तथा राजनीतिक – सुधारों के कदम उठाए और बाजा व्यवस्था तथा लोकतंत्र का समर्थन किया । कुछ कट्टर साम्यवादियों ने इसका विरोध किया औ कार का तख्ता पलट करने का प्रयास किया , परंतु उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली । सोवियत की जनता भी साम्यवादी दल की तानाशाही से तंग थी ।

सोवियत संघ के विघटन के कारण ( Causes of Disintegration of Soviet Union ) —

political science class 12 notes:-सोवियत संघ एक महाशक्ति था । इसकी अर्थव्यवस्था विश्व में दूसरे स्थान पर ( अमेरिक के बाद ) थी । यह सभी वस्तुओं के उत्पादन की दृष्टि से आत्मनिर्भर था और अमेरिका को टक्क देने की स्थिति में था । फिर ऐसे क्या कारण थे कि 1991 में इसका विघटन हुआ । इसकी मुख्य रूप से निम्नलिखित कारकों ने भूमिका निभाई

( i ) गिरती अर्थव्यवस्था ( Falling जब विश्व की राजनीति में एक महाशक्ति के मजबूत थी । परंतु अर्थव्यवस्था पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण होने के कारण उसका विकास न हो सका और उसमें गिरावट आती चली गई । उत्पादन और वितरण पर पूर्ण सरकारी नियंत्र होने के कारण उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ और उसकी मात्रा भी बढ़ती हुई खप के अनुसार नहीं बढ़ी ।

लोगों को रियायती कीमतों पर आवश्यकता की वस्तुएँ उपलब्ध कराई जान थीं , इस कारण घाटा सरकार को सहन करना पड़ा था । अर्थव्यवस्था गतिरुद्ध हो गई । उपभोक् वस्तुओं की कमी पड़ने लगी , खाद्यान्नों का आयात होने लगा और आर्थिक संस्थाएँ कमजोर प तथा लोगों की आकांक्षाओं की पूर्ति न कर सकीं ।

political science class 12 notes:-वार संधि के अंदर आने वाले देशों तथा अन्य सहयोगी या मित्र देशों को सोवियत सं आर्थिक सहायता भी देता था और सैनिक साज – समान भी । इनका खर्च एक बहुत बड़ा बोझ थ गिरती हुई अर्थव्यव्स्था बढ़ते हुए खर्चों के बोझ बर्दाश्त करने में असमर्थ होने लगी । सोवियत को इन खर्चों पर कुछ नियंत्रण लगाना पड़ा । इससे उसकी स्थिति में गिरावट आना स्वाभा विक

( ii ) लोगों में असंतोष की भावना का विकास ( Development of Feelings Discontentment among the People ) ——— आरंभ में साम्यवादी नेता समाजवादी अर्थव्यव को पश्चिमी पूँजीवादी अर्थव्यवस्था से अच्छा बताते थे जिसमें हर व्यक्ति को काम और भो की गारंटी दी जाती थी ।

political science class 12 notes:-अब लोगों की उपभोक्ता वस्तुओं की कमी महसूस होने लगी तो असंतोष की भावनाएँ पनपने लगीं । पश्चिमी देशों की उन्नति , उनके रहन – सहन में प्रगति उनके सामाजिक – आर्थिक सुधार को सोवियत संघ के लोगों ने देखा और महसूस किया तो अ आर्थिक व्यवस्था और शासन व्यवस्था से उनका मोह भंग होने लगा और वे लोकतंत्र उदारवादी अर्थव्यवस्था के गुणों से प्रभावित होने लगे । इस भावना ने भी सोवियत संघ के वि में भूमिका निभाई ।

( iii ) साम्यवादी दल का तानाशाही शासन ( Dictatorship of Communist Part 1917 की क्रांति के बाद रूस में साम्यवादी दल की तानाशाही शासन व्यवस्था लागू आरंभ में तो साम्यवादी दल के नेताओं ने लोगों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं क ध्यान दिया गया ।

केंद्रीकृत फैलने लगा , प्रशासन में खुलापन न होने के कारण प्रशास गलतियों तथा कमियों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया । केंद्रीकृत शासन विशाल प्रदे व्यवस्था को अच्छी प्रकार से संभाल नहीं सका और विकेंद्रीयकरण का रास्ता शासन प्रण नहीं अपनाया ।

2:  सोवियत संघ के विघटन के क्या परिणाम निकले ?

Ans . सोवियत संघ के विघटन के कई परिणाम सामने आए और इस घटना ने विश्व में राजनीति का माहौल ही बदल दिया । इस घटना के मुख्य परिणाम निम्नलिखित हैं :-

( i ) political science class 12 notesशीतयुद्ध की समाप्ति ( End of Cold War ) – सोवियत संघ की समाप्ति का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण परिणाम शीत युद्ध की समाप्ति था । इस घटना ने दो महाशक्तियों के बीच चले लंबे संघर्ष और भय , असुरक्षा , आतंक तथा तनाव के वातावरण को समाप्त किया ।

( ii )political science class 12 notes :- विश्व राजनीति में नए समीकरण ( New Equations in World Politics ) – सोवियत संघ के विघटन और शीत युद्ध की समाप्ति के कारण विश्व की राजनीति में पुराने संबंधों में शिथिलता आने लगी , नए समीकरण बनने लगे । अब संयुक्त राज अमेरिका एकमात्र महाशक्ति रह गया था और उसे किसी प्रतिद्वंद्वी की चिंता नहीं थी । इसलिए उसे अब अपने गुट को बनाए रखने तथा उसमें वृद्धि करने की चिंता से भी मुक्ति मिली ।

political science class 12 notes:-उदाहरणस्वरूप अमेरिका ने आरम्भ से ही भारत के मुकाबले पाकिस्तान की ओर अपना अधिक झुकाव रखा क्योंकि पाकिस्तान की शीत युद्ध के वातावरण में उसे अधिक आवश्यकता थी और वह पाकिस्तान की भूमि को कभी भी , कैसे भी प्रयोग में ला सकता था ।

3. लोकतांत्रिक प्रणाली तथा बाजार अर्थव्यवस्था की श्रेष्ठता पर मुहर ( Stamp on the Superiority of Democratic System and Market Economy ) —

political science class 12 notes:-शीतयुद्ध को दो विचारधाराओं के बीच संघर्ष भी माना जाता था । साम्यवादी गुट साम्यवादी शासन व्यवस्था को ही वास्तविक जनतंत्र मानते थे और समाजवादी अर्थव्यवस्था को पूँजीवादी तथा बाजार पर आधारित अर्थव्यवस्था से अच्छा मानते थे जिसमें व्यक्ति द्वारा व्यक्ति का शोषण नहीं होता और प्रत्येक भूख और अभाव से मुक्ति ही गारंटी होती हैं ।

सोवियत संघ के विघटन ने , जो मुख्य रूप से उसकी अर्थव्यवस्था की कमजोरी तथा निष्फलता के कारण हुआ था , इस प्रकार का उत्तर दे दिया ।

आज समाजवादी देशों में भी बाजार पर आधारित अर्थव्यवस्था को ही उचित माना जाने लगा है । भारत ने भी 1990 के बाद अर्थव्यवस्था में उदारीकरण के कदम उठाए और उसमें खुलेपन , निजीकरण व स्वतंत्र व्यापार तथा स्पर्धा के तत्वों को महत्त्व दिया ।

नए स्वतंत्र राज्यों का उदय ( Emergence of New Independent States ) —

political science class 12 notes:-सोवियत संघ के विघटन के बाद बहुत से नए स्वतंत्र राज्यों का उदय हुआ । सोवियत संघ की सभी इकाइयाँ जो स्वायत गणराज्य कहे जाते थे और एक प्रकार से संघीय व्यवस्था में इकाइयों की स्थिति प्राप्त थे , स्वतंत्र राज्य बने । उन्होंने अपनी नई स्वतंत्र पहचान बनाई और नई विचारधारा को भी अपनाया । 

0.3 शॉक थेरेपी से क्या अभिप्राय है ? इसकी प्रमुख विशेषताओं की व्याख्या करें । For , सोवियत संघ के बाद साम्यवादी देशों द्वारा अपनाई गई अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ बताएँ ।

Ans .political science class 12 notes :- ‘ शॉक थेरेपी ‘ का अर्थ ( Meaning of Shock Therapy ) सोवियत संघ के विघटन के बाद यह समझा जाने लगा कि साम्यवाद का ही पतन होने लगा है । उन देशों में जो सोवियत संघ के समय इसके गठबंधन में सम्मिलित थे और साम्यवादी व्यवस्था वाले देश कहे जाते थे ,

political science class 12 notes:-उनमें समाजवादी व्यवस्था के स्थान पर लोकतांत्रिक पूँजीवादी व्यवस्था में बदलाव की प्रक्रिया आरंभ हुई । यह बदलाव आसान नहीं था । इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ( I.M.F. ) द्वारा साम्यवाद से पूँजीवादी व्यवस्था के संक्रमण के लिए एक खास तरीका या मॉडल तैयार किया गया ।

इस शॉक थेरेपी अथवा साम्यवादी देशों द्वारा अपनाई जाने वाली लोकतांत्रिक पूँजीवादी व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
1. उत्पादन और वितरण के साधनों पर निजी स्वामित्व की धारणा को अपनाया जाए और निजी सम्पत्ति का अधिकार सबको प्राप्त हो ।

बेशक निजी स्वामित्व तथा निजी संपत्ति की धारणा मुख्य रूप से स्वीकार्य होगी ।
2. सरकारी संपदा का तुरंत निजीकरण हो तथा व्यवसायों को निजी हाथों में तुरंत सौंपा जाए ।
3. कृषि के क्षेत्र में भी जिनी स्वामित्व की धारणा को लागू किया गया । सामूहिक फार्म हाउसों को निजी फर्मों में बदला गया और लोगों द्वारा निजी और पूँजीवादी व्यवस्था के आधार पर खेती – बाड़ी करने का रास्ता अपनाया गया । सहकारी खेती का निजीकरण किया गया ।


4. व्यावसायिक क्षेत्र में मुक्त व्यापार ( free trade ) को अपनाया गया । यह निश्चित किया गया कि विकास के लिए मुक्त व्यापार आवश्यक है और व्यापार पर सरकार के स्वामित्व अथवा नियंत्रण से व्यापार गतिरुद्ध हो जाता है और विकास रुक जाता है । सरकारी व्यापार संगठनों को समाप्त कर दिया गया ।


5. सोवियत संघ के सदस्यों में आपस में हुए व्यापारिक समझौतों को समाप्त कर दिया गया और प्रत्येक देश को किसी भी देश से अपने व्यापारिक संबंध स्थापित करने की छूट दी गई और इसके लिए उत्साहित किया गया । इस प्रकार पूर्व साम्यवादी देशों को पश्चिमी अर्थतंत्र के साथ जोड़ा गया ।


6. यह भी निश्चित हुआ कि पश्चिमी दुनिया के पूँजीवादी देश पूर्व साम्यवादी देशों की अर्थव्यवस्था के संचालन में मार्गदर्शक की भूमिका निभाएँगे और उनकी विभिन्न आर्थिक एजेंसियाँ तथा संगठन आर्थिक विकास में उनकी सहायता तथा मार्गदर्शन करने की भूमिका निभाएँगे ।

शॉक थेरेपी के परिणाम ( Consequences of Shock Therapy ) —

political science class 12 notes:- शॉक थेरेपी 1990 में लागू की गई । इसके तुरंत आनंददायक परिणाम नहीं निकले । यह स्वाभाविक था । जैसे कि क्रांति द्वारा तानाशाही को समाप्त करने लोकतान्त्रिक शासन के तुरंत लाभ प्राप्त नहीं होते और उसमें समय लगता है ।

इसी प्रकार शॉक थेरेपी के भी तुरंत अच्छे परिणाम नहीं निकले और इसीलिए लोगों को आघात पहुँचा और कुछ निराशा तथा असंतोष भी बढ़ा । शॉक थेरेपी के परिणाम मुख्य रूप से निम्नलिखित थे

1. शॉक थेरेपी से एकदम तो पूर्व सोवियत संघ के खेमे के देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई और लोगों को बेहतर जीवन की अपेक्षा बर्बादी का सामना करना पड़ा ।

2. अधिकतर देशों में पूरा औद्योगिक ढाँचा जो पहले पूर्ण रूप से सरकार के नियंत्रण तथा स्वामित्व में था , अस्त – व्यस्त हो गया क्योंकि इसे निजी हाथों में बेचा गया और वह तुरंत इस का उचित प्रबंध न कर सका ।

3. सरकार द्वारा नियंत्रित उद्योगों द्वारा तैयार किया गया माल सस्ते दामों पर बेचा गया उसी प्रकार उद्योगों के निजीकरण में उद्योगों तथा औद्योगिक संस्थानों को भी कम कीमत पर बेचा गया क्योंकि उन कारखानों तथा औद्योगिक संस्थानों के मूल्य का निर्धारण बाजार भाव पर हुआ , सरकार द्वारा नहीं ।

4. नागरिकों को उद्योगों को खरीदने के लिए अधिकार पत्र दिये गए थे । अधिकतर नागरिकों ने उनका प्रयोग उद्योग – धंघों को खरीदने में न करके कालाबाजारियों तथा पूँजीपतियों को बेच दिए । इससे कालाबाजारी , जमाखोरी और असामाजिक तत्त्वों की संख्या में वृद्धि हुई ।

5. सामूहिक खेती के समाप्त होने से खाद्यान्नों की सुरक्षा समाप्त हो गई थी । प्रायः प्रत्येक देश को खाद्यान्नों की कमी का सामना करना पड़ा और उसका पश्चिमी देशों से निर्यात करना । इसने लोगों में असंतोष की भावना पैदा और विकसित की ।

Q. 4. भारत और सोवियत संघ के आर्थिक , राजनैतिक , सैन्य तथा सांस्कृतिक विवरण दीजिए
Or , भारत रूस तथा पूर्व साम्यवादी गणराज्यों के सम्बन्धों का विवरण दीजिए ।

Ans . political science class 12 notes :- भारत और सोवियत संघ के सम्बन्ध ( Relationship between India and Soviet Union ) : प्रस्तावना ( Introduction ) शीतयुद्ध के दौरान भारत और सोवियत संघ के संबंध बहुत गहरे थे । इससे आलोचकों को यह कहने का अवसर भी मिला कि भारत सोवियत खेम ( गुट ) का हिस्सा था । इस दौरान भारत और सोवियत संघ के संबंध बहुआयामी थे ।

1. आर्थिक ( Economic ) सोवियत संघ ने भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की ऐसे वक्त में मदद की जब ऐसी मदद पाना मुश्किल था । सोवियत संघ ने भिलाई , बोकारो और विशाखापट्टनम के इस्पात करखानों तथा भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स जैसे मशीनरी संयंत्रों के लिए आर्थिक और तकनीकी सहायता दी भारत में जब विदेशी मुद्रा की कमी सोवियत संघ ने रुपये को माध्यम बनाकर भारत के साथ व्यापार किया ।

2. राजनीतिक ( Political ) सोवियत संघ ने कश्मीर मामले पर संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारत पाकिस्तान से युद्ध के दौरान मदद की । भारत ने भी सोवियत संघ की विदेश नीति का अप्रत्यक्ष , लेकिन महत्त्वपूर्ण तरीके से समर्थन किया ।

3. सैन्य ( Military ) – भारत को सोवियत संघ ने ऐसे वक्त में सैनिक साजो – सामान दिए । जब शायद ही कोई अन्य देश अपनी सैन्य टेक्नोलॉजी भारत को देने के लिए तैयार था । सोवियत संघ ने भारत के साथ कई ऐसे समझौते किए जिससे भारत संयुक्त रूप से सैन्य उपकरण तैयार कर सका ।

4. सांस्कृतिक ( Cultural ) —हिंदी फिल्म और भारतीय संस्कृति सोवियत संघ में लोकप्रिय थे । बड़ी संख्या में भारतीय लेखक और कलाकारों ने सोवियत संघ की यात्रा की ।

भारत – रूस व पूर्ण साम्यवादी गणराज्य के सम्बन्धों का संक्षिप्त इतिहास ( A brief of history of India’s relations with Russia and formal Communist Republics ) —

1. political science class 12 notes :- भारत ने साम्यवादी रह चुके सभी देशों में साथ अच्छे संबंध कायम किए हैं लेकिन भारत के संबंध रूस के साथ सबसे ज्यादा गहरे हैं । भारत की विदेश नीति का महत्वपूर्ण पहलू भारत | का रूस के साथ संबंध है या रूस संबंधों का इतिहास आपसी विश्वास और साझे हितों का इतिहास है ।

2. रूस और भारत दोनों का सामना बहुध्रुवीय विश्व का है । बहुध्रुवीय विश्व से इन दोनों देशों का आशय यह है कि अंतर्राष्ट्रीय फलक पर कई शक्तियाँ मौजूद हों , सुरक्षा की सामूहिक जिम्मेदारी हो ( यानी किसी भी देश पर हमला हो तो सभी देश उसे अपने लिए खतरा मानें और साथ मिलकर कार्यवाही करें ) , क्षेत्रीयताओं को ज्यादा जगह मिले ,

3. political science class 12 notes:- भारत को रूस के साथ अपने संबंधों के कारण कश्मीर , ऊर्जा – आपूर्ति , अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से संबंधित सूचनाओं के आदान – प्रदान पश्चिम एशिया में पहुँच बनाने तथा चीन के साथ अपने संबंधों में संतुलन बनाने में सुविधा हुई है ।

4. रूस को भारत के संबंध से सबसे बड़ा फायदा यह है कि भारत रूस के लिए हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा ददार देश है ।


5. भारतीय सेना को अधिकांश सैनिक साजो – सामान रूस से प्राप्त होते हैं । चूँकि भारत तेल के आयातक देशों में से एक है अपने ऊर्जा – आयात को भी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है ।


6. political science class 12 notes:- ऐसी कोशिश कजाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के साथ भी चल रही है । इन गणराज्यों के साथ सहयोग के अन्तर्गत तेल वाले इलाकों में साझेदारी और निवेश करना भी महत्त्वपूर्ण है । रूस ने भारत के अन्तरिक्ष उद्योग में भी जरूरत के वक्त क्रायोजेनिक रॉकेट देकर मदद की है ।

FAQ

Class 12 राजनितिक विज्ञान ch 2 का नाम क्या है?

दो ध्रुवीयता का अंत।