मुथूट फिनकॉर्प और धनसर स्थित गुंजन जेम्स में चोरी के मामले के कनेक्शन एक साथ सुलझाए जा रहे हैं!

मुथूट फिनकॉर्प और धनसर स्थित गुंजन जेम्स में चोरी के मामले के कनेक्शन एक साथ सुलझाए जा रहे हैं!
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धनबाद मुथूट लूट धनबाद के बैंक मोर स्थित मुथूट फिनकॉर्प और धनसर स्थित गुंजन जेम्स में चोरी के मामले के कनेक्शन एक साथ सुलझाए जा रहे हैं।

मुथूट फिनकॉर्प में चोरी के प्रयास के दौरान, छह दिनों के रिमांड समय के दौरान पकड़े गए दोनों बदमाशों ने कई विशेषाधिकार प्राप्त अंतर्दृष्टि का खुलासा किया। मुथूट फिनकॉर्प में की गई चोरी की कोशिश के दौरान, छह दिनों के रिमांड समय के दौरान पकड़े गए दोनों बदमाशों ने कई विशेषाधिकार प्राप्त अंतर्दृष्टि का खुलासा किया।

उन्होंने पुलिस को बताया कि मुथूट चोरी प्रकरण की मिलीभगत सुबोध सिंह द्वारा सामने लाया गया था और राजीव सिंह को पटना के बेउर कारागार में रोक दिया गया था, जबकि बाहर रहकर अमित सिंह, प्रमुख और पप्पू सिंह ने इस व्यवस्था पर काम पूरा किया। वो दो। दो और व्यक्ति इस प्रकरण से जुड़े थे, फिर भी पकड़े गए कानून तोड़ने वालों का नाम नहीं ले सके। आसिफ ने पुलिस पर निशाना साधते हुए टर्मिनेट भी किया था।

अनुभव के दौरान पकड़े गए आसिफ ने पुलिस को बताया कि चोरी के दौरान पुलिस के आने पर उसने फायरिंग भी शुरू कर दी थी। इसके बावजूद जब उन्होंने पहला शॉट छोड़ा तो किसी ने उन्हें डंडे से मारा, जिससे उनके बाएं हाथ की कोहनी में चोट लग गई और बंदूक छूट गई। किसी और ने उसकी गर्दन पर हाथ रखकर उसकी देखभाल की। इस बीच, शुभम मोनिकर हरे, मुथूट फिनकॉर्प के कार्यालय से निकला, पुलिस और अन्य पर गोलियां चलाई, फिर भी उसे पुलिस ने गोली मार दी और वह गिर गया। शुभम को गोली लगने के बाद बदमाश घबरा गए और उन्होंने डिस्चार्ज करना छोड़ दिया। आसिफ ने बताया कि इसके बाद पुलिस ने उसे और राघव को रस्सी से बांध दिया और सारा इंतजाम ठप हो गया। रमेश ठाकुर ही हथियार लेकर आए थे, वह पहले भागे।

आसिफ ने पुलिस को बताया कि दुष्कर्म के एक दिन पहले पांच सितंबर को रमेश ठाकुर छद्म नाम शंकर रात करीब नौ बजे हथियार के साथ गया था। उन्होंने सभी को दो पत्रिकाएँ दीं। दोनों ने मिलकर शस्त्रों की सफाई की। अगले दिन छठे सितंबर की सुबह मैं (आसिफ), शंकर नोम डे प्लम रमेश ठाकुर, राहुल सिंह ने राघव, हरे छद्म नाम शुभम और टोक्यो मोनिकर छोटू सिंह ने नाम शिवम कुमार ग्रहण किया, जो सभी धनसर में जमा हुए थे। शंकर ने दो बंदूकें अपने पास रखी हैं और एक-एक बंदूक और हर दूसरे व्यक्ति को 10-10 गोलियां दीं।

हमने हथियार के साथ एक पत्रिका को जोड़ा था और एक-एक पत्रिका को जेब में रख लिया था। शंकर ने 4,000 रुपये भी दिए, ताकि गलत काम करने के चक्कर में साइकिल छोड़कर उतरना पड़े, तो सब कुछ अच्छा लगता है। उन्होंने कहा था कि मुथूट फिनकॉर्प के कार्यालय के अंदर हर किसी को पकड़कर किनारे कर देना चाहिए। शंकर ने कहा था कि चाहे आपको स्लग को शूट करने की जरूरत हो, आपको उसे फायर करने की जरूरत है… कोशिश करें कि ओवर रिएक्ट न करें! आसिफ ने बताया कि 6 सितंबर की सुबह छोटू ने टोक्यो मुथूट नाम ग्रहण कर फिनकॉर्प के ऑफिस के पास गुरुद्वारे के पास, राघव से पहले और ओयो इन से पहले बनी और शंकर को छोड़ दिया था।

मुथूट का ऑफिस खुला तो शंकर ने हमें आगे बढ़ने का इशारा किया। सभी ने व्यक्तिगत रूप से कार्यस्थल में प्रवेश किया। पहले मैं और छोटू ने मुथूट के दफ्तर में प्रवेश किया, रमेश ठाकुर, शुभम और राघव ने भी घाटा उठाया। हमने दुकान नहीं खोलने पर सुपरवाइजर के साथ मारपीट भी की। यह रमेश ठाकुर ही थे जिन्होंने एक वीडियो निर्णय पर समझौता किया और निर्देशक के साथ बातचीत करने के लिए एक व्यक्ति को मिला। उन्होंने डायरेक्टर को नीचा दिखाया और कहा कि भण्डार खोलो, किसी भी हाल में पुरुषों को तुम्हारे घर भेज दिया जा रहा है।

करीब 15-20 मिनट बाद पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस को देखकर छोटू एमआरएफ (मुथूट फिनकॉर्प के नीचे स्थित टायर डिस्प्ले एरिया) की तरफ चला गया और रमेश ठाकुर दूसरी तरफ चला गया। आसिफ ने बताया कि पुलिस को देखकर मैंने फायरिंग शुरू कर दी।

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