मुथूट फिनकॉर्प बैंक की चोरी होने से बचाने वाले डॉ पी के सिंह क्यों एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम जाने जाते हैं? कौन है ये ?

बैंक मोड़ के थाना प्रभारी सह परीक्षक डॉ पीके सिंह को पुलिस का अनुभव विशेषज्ञ माना जाता है.  अब तक वह 25 से ज्यादा मामले दर्ज कर चुका है, जिसमें कई दर्जन गुंडे मारे जा चुके हैं।  धनबाद : धनबाद में अपराधियों ने कल मुथूट फिनकॉर्प बैंक में सेंधमारी का प्रयास किया। 

किसी भी मामले में, वह पुलिस की सक्रियता के कारण फिजूलखर्ची करता रहा।  इस दौरान कानून तोड़ने वालों और पुलिस के बीच भी गोलीबारी हुई।  जिसमें एक कानून तोड़ने वाले की मौत हो गई।  साथ ही थाना प्रभारी डॉ पीके सिंह ने प्रकरण को पूरा किया है.  जिसे एक अनुभवी प्रशिक्षित पेशेवर के रूप में देखा जाता है।  आपको बता दें कि प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर अपनी पोस्टिंग के दौरान वह लगातार गुंडागर्दी करते रहे हैं।  अब तक वह 25 से ज्यादा मामले दर्ज कर चुका है, जिसमें कई दर्जन गुंडों को मौत के घाट उतारा जा चुका है।  

इंकॉउंटर 1997 में शुरू हुई:

डॉ पीके सिंह 1994 के क्लंप इंस्पेक्टर हैं।  वर्ष 1997 में बोकारो क्षेत्र के झुमरा पर्वत पर नक्सलियों के साथ उनका सबसे यादगार अनुभव हुआ।  दोनों तरफ से समापन हो रहा था।  नक्सलियों को पीछे हटना पड़ा।  इस दौरान नक्सलियों द्वारा पकड़े गए पांच ट्रकों को मुक्त कराया गया। 

डॉ. सिंह ने लातेहार में एक अनुभव में अकेले ही मुआवजा नक्सली खुदी सिंह खरवार छद्म नाम छोटू चौधरी को मार डाला और उसे कंधे पर बिठाकर साइकिल से अपने पुलिस मुख्यालय ले गए।  पास अनुभवी और गिरा।  

पीके सिंह भी अक्सर के बाद चले गए हैं।  चैनपुर थाना क्षेत्र के अंधेरीगोड़ा में बारूदी सुरंग बिछाकर हत्या की व्यवस्था की गयी थी। 

उनके अपने अभिभावक राजा लामा शहीद हो गए थे और उन्हें गंभीर नुकसान हुआ था।  

डॉ. सिंह कहते हैं कि उन्हें वास्तव में कई घटनाएं याद नहीं हैं।

वर्ष 2002 में विश्रामपुर नवा बाजार में तीन नक्सली मारे गए थे।

साल 2003 में उन्तारी कस्बे के भदुहा में छह नक्सली मारे गए थे.  इसमें एक युवक घायल हो गया।  इस दौरान 12 हथियार जब्त किए गए।

2003 में चैनपुर में तीन नक्सली मारे गए थे। चैनपुर के अंधेरी रोडा में परिवहन चोरी कर रहे चार कानून तोड़ने वालों को मार गिराया

कौन है एनकाउंटर स्पेशलिस्ट डॉ पी के सिंह?

गढ़वा की मंगरधा घाटी में डकैती करते हुए चार की मौत, जबकि एक घायल

लातेहार-पलामू के लाइन क्षेत्र हुतर में दो महिलाओं और तीन पुरुषों की मौत हो गई.

वर्ष 2004 में लातेहार में पांच लाख रुपये मुआवजा देने वाला नक्सली खुदी सिंह खरवार नाम का छोटू चौधरी एक अनुभव में सभी से दूर था और उसके शव को साइकिल पर रखकर पुलिस मुख्यालय ले जाया गया.

2004 में चैनपुर के नवापहाच में अजय यादव उपनाम लखन झूठा नाम छोटू की हत्या कर दी गई थी।

पलामू के हुतर में मारे गए तीन नक्सली

2006 में नवादिह में दो डकैतों को मार गिराया गया था

2011 में जमशेदपुर के सीताराम डेरा पुलिस मुख्यालय क्षेत्र में अखिलेश सिंह के अपराध में चार साथी मारे गए थे.

2018 में लातेहार के खैरा टिम्बरलैंड में अमित मुनिकर गुड्डू की हत्या कर दी गई थी। 

उसके पास से एके 56, 10000 स्लग, 15 राइफल और अन्य चीजें बरामद की गईं।

FAQ

मुथूट फिनकॉर्प बैंक की चोरी कब और कहाँ हुई थी?

6 September,धनबाद के बैंक मोड़ को सुबह 10 बजे मुथूट फिनकॉर्प में घुसकर वारदात को अंजाम दिया।

मुथूट फिनकॉर्प बैंक की चोरी होने से किसने बचाया?

मुथूट फिनकॉर्प बैंक की चोरी होने से झारखंड पुलिस तथा उसकी टीम जिसमें 1 एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से जाने जाते हैं डॉक्टर pk सिंह के द्वारा बचाया गया।

मुथूट फिनकॉर्प बैंक की चोरी करने वाले का नाम क्या है?

युवकों में समस्तीपुर निवासी मो. आसिफ और लखीसराय निवासी राघव शामिल है. दोनों के पास से इंदौर के पता वाले आधार कार्ड है, जिसमें मो. आसिफ का नाम निर्मल सिंह पवार है, वहीं राघव का नाम गुंजन है.

मुथूट फिनकॉर्प बैंक की चोरी करने वाले युवक की उम्र कितनी है?

मुथूट फिनकॉर्प बैंक की चोरी करने वाले युवक की उम्र 18 वर्ष के बाद की है ।