जानिए लिलोरी मंदिर धनबाद का रहस्य | Know the secret of Lilori Temple Dhanbad

जानिए लिलोरी मंदिर धनबाद का रहस्य | Know the secret of Lilori Temple Dhanbad
जानिए लिलोरी मंदिर धनबाद का रहस्य | Know the secret of Lilori Temple Dhanbad

धनबाद में बहुत सारे मंदिर है जिसमें से सबसे प्रसिद्ध मंदिर यह है जो Lilori Temple Dhanbad से अभी प्रसिद्ध हैं यहां पर बहुत सारे भक्त अपने मनोकामना पूरी करने के लिए आते है कतरास मोड़ में स्थित यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है इसलिए इसकी मान्यता भी काफी है धनबाद के कतरास गढ़ में स्थित जो मां लिलोरी का स्थान के नाम से जाना जाता है और लोगों के मन में बहुत विश्वास है कि उनकी मन कि मुरादे यहां आने से पूरी हो जाएगी।

नामलिलोरी स्थान कतरास मोड़ | Lilori Place Katras Mod
जगहधनबाद
पता R892+QQ3, Katras, Jharkhand 828113, India
प्रसिद्धप्राचीन व रहस्य में मंदिर के रूप में

लिलोरी स्थान कतरास मोड़ | Lilori Place Katras Mod

  • धनबाद के लोगों का यह मानना है कि लिलोरी स्थान मंदिर की स्थापना पहले की राजा ने की थी वहां के पुराने पुजारी और लोगों के अनुसार 1800 वर्ष पूर्व मध्य प्रदेश के रीवा के राजघराने के वंशज से ताल्लुक रखने वाले कतरास गढ़ के राजा सुजन सिंह कतरास के इस जंगल में माता की प्रतिमा को स्थापित किए थे स्थापित मंदिर की पूजा करते थे वहां के जाने-माने पंडित जी काजल प्रमाणिक जी कहते हैं उनका यह मानना है कि उस समय से लेकर आज तक सबसे पहले पूजा इस मंदिर में यहां के राज परिवार के ही सदस्य करते थे ।
  • राज परिवार की पूजा करने के बाद ही मंदिर में अन्य व्यक्ति पूजा कर सकते थे साथ ही यहां पर बलि भी दी जाती थी
  • ऐसा कोई दिन नहीं होता था जहां पर मंदिर के प्रांगण में बकरे की बलि ना दी गई हो रीवा राजघराने के राजपरिवार के विशाल सिंह जी कहते हैं कि उनके परिवार के द्वारा ही इस मंदिर की स्थापना की गई थी और आज तक इस मंदिर की बहुत मान्यता मानी जाती है साथ ही इस वंशज के लोग अभी तक इस मंदिर की पूजा बहुत ही पारंपरिक तरीके से करते आ रहे हैं इसलिए हम कह सकते हैं कि धनबाद में ये मंदिर क्यों लोकप्रिय हैं और साथ ही इस मंदिर की इतनी मान्यता क्यों है ।
  • साथ ही इस मंदिर में पूजा होने के साथ – साथ यहां के पुजारियों का घर भी इसी के बदौलत चल रहा है आज आसपास के लोगों को भी वहां पर अपना व्यापार करने का काफी भरपूर मौका मिला जिससे कि वे अपनी रोजी रोटी का दायित्व खुद ही उठा पाए तभी वह अपने घर को चला पाएंगे।

राज परिवार की कुलदेवी देवता | The patron deity of the royal family

जिस राजपरिवार ने लिलोरी स्थान की स्थापना की थी उस परिवार के कुल देवी देवता थे इन सभी के पूर्वज पृथ्वी सिंह जी ने कुलदेवी माता लिलोरी जी को रीवा से उन्हें अपने साथ में लेकर आए थे इनकी जीभ काली माता के जैसी निकली हुई है इन्हीं लोगों के द्वारा बकरी की बलि देने का रिवाज़ यहां पर शुरू किया गया था जहां पर रोज एक जीव की बलि दी जाती थी |

जो कि अच्छी बात नहीं है यह परंपरा काफी लंबे समय से चलती आ रही है और माना जाता है कि यह परंपरा अभी भी चल रही है| पहले की मान्यता को अभी तक मान जा रहा हैं और यदि उन्हें अपने किसी मनोकामना को पूरी करनी होती है तो वह इस मंदिर में आकर माता के सामने मनोकामना रखते हैं।

लिलोरी स्थान धनबाद में प्रसिद्ध होने के साथ-साथ अगल-बगल जगहों पर भी प्रसिद्ध है इसके बारे में काफी चर्चा की जाती है और अगल-बगल के क्षेत्र से भी लोग इस मंदिर को देखने के लिए आते हैं और यहां की जानकारी प्राप्त करते हैं धनबाद के लोगों का मानना है कि इस मंदिर इतनी मान्यता इसलिए है क्योंकि यहां पर हर एक मनोकामना पूरी हो जाती हैं इसलिए वह मां की पूजा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं छोड़ते हैं और राजपरिवार के परंपरा के अनुसार ही इस मंदिर में पूजा करवाई जाती हैं।

लिलोरी स्थान की विशेषता | Characteristic of Lilori Location

धनबाद के कतरास में स्थित मां लिलोरी स्थान झारखंड के अलावा पड़ोसी के कई अन्य राज्यों में भी प्रसिद्ध है और हर दिन इस मंदिर में काफी भीड़ रहती है लोग मां के दर्शन पाने के लिए लंबी-लंबी लाइन लगाते हैं और नवरात्रि के समय में तो यहां पर और भी ज्यादा अच्छे से पूजा कराई जाती है और भीड़ तो इतनी रहती है कि यहां पर कदम रखने के लिए जगह नहीं बचती है कतरास में स्थित मां लिलोरी का मंदिर के बहुत से इतिहास है जिसके बारे में वहां के पुजारी बताते हैं वहां के पुजारियों को इस मंदिर के बारे में काफी जानकारी उपलब्ध रहती है|

और यदि इनसे इस मंदिर के बारे में कुछ पूछा जाए तो भी इस मंदिर के पुराने इतिहास के बारे में काफी अच्छे से बताते हैं आसपास के लोग तो पूजा के लिए जाते हैं इसके साथ ही अगल-बगल और दूर-दूर से भी लोग इस मंदिर में पूजा करने के लिए आते हैं।

नवरात्रि के टाइम मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है इसी टाइम में लिलोरी स्थान में मौजूद मंदिर की पूजा भी इतनी धूमधाम से की जाती है पर यहां पर भक्त दर्शन लेने के लिए काफी दूर-दूर से आते हैं नवरात्रि के समय में इस मंदिर में काफी भीड़ रहती है और साथ ही मंदिर के बाहर लोगों के द्वारा स्थापित व्यापार में भी काफी वृद्धि होती है।

लिलोरी स्थान स्थापित करने वाला राज परिवार | Royal family to establish Lilori place

  • राज्य परिवार मध्य प्रदेश से धनबाद आए थे झरिया कतरास और रामगढ़ के राजपरिवार 18वीं सदी मैं रीवा मध्य प्रदेश से पालगंज गिरिडीह आए थे जहां राजा पृथ्वी सिंह पालगंज में ही रह गए थे जबकि संगम कुमार सिंह जी कतरासगढ़ में रह गए थे श्याम सिंह नवगढ़ में रह गए थे और इसके साथ ही रघुनाथ सिंह जी झरिया में रह गए थे
  • उस समय रघुनाथ सिंह जी झरिया के राजा बन गए थे लेकिन उनके बाद राजा राज बिहार सिंह के पुत्र जय मंगल सिंह निसंतान थे जिसकी वजह से उनका कोई पुत्र नहीं था जो कि अगला राजा बन सकता था इसलिए पुरोहितों की सलाह से रासबिहारी चचेरे भाई जानकी प्रसाद के बेटे से शिवप्रसाद सिंह को झरिया का राजा बना दिया शिवप्रसाद सिंह जी ने ही आरएसपी कॉलेज झरिया की नींव रखी थी शिवप्रसाद सिंह के जी के नाम पर ही आरएसपी कॉलेज का नाम रखा गया था।
  • सिंह जी के पुत्र काली प्रसाद जी सिंदरी विधानसभा से सन्न 1950 ईस्वी में विधायक भी बने, इसके बाद तारा प्रसाद सिंह बलियापुर से चुनाव लड़े लेकिन वे हार गए। इसी वंशज के सुजीत सिंह की धरम पत्नी माधवी जी राजनीति मे सक्रिय रह चुकी है। रामनगर गढ के राजा मदन मोहन सिंह सन्न 1968 ईस्वी मे जनसंघ से बाघमारा से विधायक रह चुके थे,
  • इन्ही की पुत्रवधु अनुरागीनी सिंह महुदा तेलमच्चो से राजनीति मे सक्रिय रह चुकी है। कतरासगढ के राजा कामाख्या नारायण सिंह हुआ करते थे, इनकी पत्नी सुमेधा राज लक्ष्मी बाघमारा से भाजपा से सन्न 1982 के चुनाव हार गई। इन्ही का सुपुत्र सत्येन्द्र सिंह जी की पत्नी सुमेधा सिंह भी राजनीति में सक्रिय रह चुकी है।
  • रीवा के राजा रामचँद्र के दरवार मे पंडित तानसेन हुआ रहते थे, राजा रामचँद्र को मुगल राजा अकबर ने जीत लिया और तानसेन को दरबारी संगीततज्ञ बना लिया गया जिनकी मृत्यु पाकिस्तान मे हुई।
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FAQs

लिलोरी मंदिर कहां स्थित है?

लिलोरी मंदिर  R892+QQ3, Katras, Jharkhand 828113, India स्थित है?

लिलोरी मंदिर का समय क्या है?

लिलोरी मंदिर का समय 8 AM-6 PM है?