Jac board Class12 Political Science ch 7 समकालीन विश्व में सुरक्षा best notes & important question answers 

Jac board Class12 Political Science ch 7 समकालीन विश्व में सुरक्षा best notes & important question answers 
Jac board Class12 Political Science ch 7 समकालीन विश्व में सुरक्षा best notes & important question answers 

Jac board Class12 Political Science ch 7 समकालीन विश्व में सुरक्षा best notes & important question answers 

पाठ की मुख्य बातें 

संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना 1945 में हुई । इसके उद्देश्यों में प्रथम उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखना है । 

पाठ्यक्रम में शांति के अध्याय में शांति के उद्देश्य , व्यापक अर्थों और उसकी प्राप्ति के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों का उल्लेख किया गया था । यहाँ सुरक्षा के अर्थों तथा उसको बनाए रखने के उपायों और आज के विश्व में सुरक्षा की स्थिति के बारे में उल्लेख किया जा रहा है । 

सुरक्षा शब्द का प्रयोग व्यक्ति दैनिक जीवन में प्रयोग करता है जैसे कि व्यक्ति की सुरक्षा , जान – माल की सुरक्षा , राष्ट्रीय सुरक्षा , अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा आज ( मार्च 2007 ) जम्मू – कश्मीर में साझा सरकार है , काँग्रेस और पी . डी . पी का गठवन्धन है । 

परन्तु पी.डी.पी की माँग है कि जम्मू – कश्मीर में सैनिकों को घटाया जाए काँग्रेस तथा आम जनता का कहना है कि कश्मीर में सेना की मात्रा में कमी करने का अर्थ है राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे का निमंत्रण देना , आतंकवादी गतिविधियों को छूट देना और राष्ट्रीय हितों तथा राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करना । 

वेशक आम आदमी सुरक्षा शब्द के सही अर्थों को नहीं जानता परन्तु इस शब्द का प्रयोग करता है । आज लगभग सभी राजनीतिक नेताओं को सुरक्षा प्रदान की गई है अर्थात् सुरक्षा गार्ड उनके साथ आगे – पीछे चलते हैं । कई बार राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का कहीं का पहले से निश्चित दौरा सुरक्षा खतरों ( Security concerns ) के कारण रद्द कर दिया जाता है या उनकी यात्रा का रूट बदल दिया जाता है । 

सुरक्षा के अर्थों को जानने से व्यक्ति को सरकार तथा अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय की बहुत सी गतिविधियों के कारण आसानी से समझ में आ जाते हैं । राष्ट्र की सुरक्षा केवल युद्धों और आक्रमणों तथा आतंकवादी हिंसक गतिविधियों से ही खतरे में नहीं पड़ती वल्कि भुखमरी , वीमारी , महामारी , भूकम्प , सुनामी अथवा समुद्री तूफान , बाढ़ और सूखा , ओलावृष्टि आदि से भी खतरे में पड़ती है । भारत ने इन खतरों से सुरक्षा के लिए समुचित प्रयास किए हैं । 

प्रश्नोत्तर अति लघु उत्तरीय प्रश्न ( VERY SHORT ANSWER TYPE QUESTIONS ) 

Q. 1. किसी सरकार के समक्ष युद्ध की स्थिति में जो तीन विकल्प होते हैं उनका उल्लेख कीजिए । 

Or , 

बुनियादी तौर पर किसी सरकार के पास युद्ध की स्थिति में कौन – कौन से विकल्प होते हैं ? 

Ans . बुनियादी तौर पर किसी सरकार के पास युद्ध की स्थिति में तीन विकल्प होते हैं 

( i ) युद्ध छिड़ने पर स्थिति को देखते हुए शत्रु के सामने हथियार डालना या आत्मसमर्पण करना । 

( ii ) विरोधी पक्ष की बात को बिना युद्ध किए ही मान लेना । 

( iii ) विरोधी पक्ष को डराने के लिए ऐसे संकेत देना यदि वह युद्ध छेड़ेगा अथवा बन्द नहीं करेगा तो वह ( सरकार ) अपने सहयोगियों अथवा कदमों से ऐसे विनाशकारी कदम उठाएगी जिन्हें सुनकर हमलावर बाज आए अथवा युद्ध थम जाए तो अपनी रक्षा करने के लिए ऐसे हथियारों का प्रयोग करना कि शत्रु तुरंत पीछे हट जाए या पराजित हो जाए । 

Q. 2. सुरक्षा नीति का संबंध किसस होता है ? इसे क्या कहा जाता है ? इसे रक्षा कब कहा जाता है ? 

Ans . युद्ध में कोई सरकार भले ही आत्मसमर्पण कर दे लेकिन वह इसे अपने देश की नीति के रूप में प्रचारित नहीं करना चाहेगी । इस कारण , सुरक्षा नीति का संबंध युद्ध की आशंका को रोकने में होता है जिसे ‘ अपराध ‘ कहा जाता है और युद्ध को सीमित रखने अथवा उसको समाप्त करने से होता है जिसे रक्षा कहा जाता है । 

Q. 3. सुरक्षा की दृष्टि से संयुक्त राष्ट्र संघ की क्या स्थिति है ? समझाइए । 

Ans . किसी देश के भीतर हिंसा के खतरों से निपटने के लिए एक जानी – पहचानी व्यवस्था होती है – इसे सरकार कहते हैं । लेकिन , विश्व राजनीति में ऐसी कोई केन्द्रीय सत्ता नहीं जो सबके ऊपर हो । यह सोचने का लालच हो सकता है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ ऐसी सत्ता है अथवा ऐसा बन सकता है । 

बहरहाल , फिलहाल अपनी वनावट के अनुरूप संयुक्त राष्ट्रसंघ अपने सदस्य देशों का है और इसके सदस्य देश जितनी सत्ता इसको सौंपते और स्वीकारते हैं उतनी ही सत्ता इसे हासिल होती है । अतः विश्व राजनीति में हर देश को अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद उठानी होती है । 

Q. 4. मानव अधिकारों से आप क्या समझते हैं ? संयुक्त राष्ट्र ने मानव अधिकारों के घोषणा पत्र को कब स्वीकृति दी ? 

Ans . मानव अधिकार उन अधिकारों को कहते हैं जो कि प्रत्येक मनुष्य को मानव होने के नाते अवश्य ही मिलने चाहिए । संयुक्त राष्ट्र ने मानव अधिकारों के घोषणा पत्र को 10 दिसम्बर , 1948 ई . को स्वीकृति दी और प्रत्येक देश की सरकार से यह आशा की कि वह अपने नागरिकों को यह अधिकार प्रदान करेगी । 

Q. 5. किन्हीं पाँच मानव अधिकारों के नाम लिखिए । 

Ans . मानव अधिकारों के घोषणा पत्र में 20 मानव अधिकारों की सूची सम्मिलित है जिनमें कुछ महत्वपूर्ण अधिकार निम्नलिखित हैं :

1. जीवन की सुरक्षा व स्वतंत्रता का अधिकार । 

2. दासता व बंधुआ मजदूरी से स्वतंत्रता का अधिकार । 3. स्वतंत्र न्यायपालिका से न्याय प्राप्त करने की स्वतंत्रता का अधिकार । 

4. विचार करने व पारिवारिक जीवन का अधिकार । 

5. कहीं भी आने – जाने व घूमने – फिरने की स्वतंत्रता का अधिकार । 

Q. 6. ‘ परमाणु युद्ध और उसके प्रभाव ‘ का संक्षिप्त विवरण लिखें । 

Ans . 

1. परमाणु अस्त्र न केवल युद्ध में लड़ने वाले देशों का बल्कि मानव मात्र का विनाश कर सकते हैं । 

2. यदि सभी देशों की शक्ति इकट्ठी कर दें , जिनके पास परमाणु बम हैं , तो वह शक्ति इतनी होगी कि सारे विश्व को कई बार नष्ट किया जा सकता है । 

3. वैज्ञानिकों का विचार है कि यदि परमाणु बम का प्रयोग किया गया तो बम गिरने से रेडियोधर्मिता के बादल इतनी तेजी से उठेंगे कि सुदूर स्थानों में रहने वाले करोड़ों लोग भी मारे जा सकते हैं । 

4. यदि विश्व में परमाणु युद्ध हुआ , तो मानव जाति नष्ट हो जाएगी । 

Q.7 . वैश्विक तापवृद्धि विश्व में किस प्रकार खतरा उत्पन्न करता है ? उदाहरण दीजिए । 

Ans . वैश्विक ताप वृद्धि ( Global warming ) विश्व के अनेक भागों में भौगोलिकभूल सशस्त्र संघर्ष था । 

Q. 9. सुरक्षा की पारंपरिक धारणा को स्पष्ट कीजिए । 

Ans . 

( 1 ) सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा में सैन्य खतरे को किसी देश के लिए सबसे अधिक खतरनाक माना जाता है । 

( 2 ) इस खतरे का स्रोत कोई अन्य मुल्क होता है जो सैन्य आक्रमण की धमकी देकर सम्प्रभुता , स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता जैसे किसी देश के केन्द्रीय मूल्यों को खतरा करता है । 

Q. 10. शांति संतुलन का क्या महत्त्व है ? 

Ans . 

( 1 ) प्रत्येक देश के आसपास कोई न कोई शक्तिशाली देश होता है और उससे उसे हमले की आशंका बनी रहती है । इसलिए प्रत्येक सरकार दूसरे देश से अपने शक्ति संतुलन को लेकर बहुत संवेदनशील होती है । 

( 2 ) प्रत्येक देश शक्ति संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में बैठाने के जोरदार प्रयास करती है । ताकि उसकी स्थिति मजबूत बनी रहे । 

SHORT ANSWER TYPE QUESTION

Q. 1. शाक्त संतुलन के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए । 

Ans . शक्ति संतुलन का महत्त्व 

( 1 ) सुरक्षा नीति का एक महत्वपूर्ण तत्व शक्ति संतुलन है । इसके अन्तर्गत किसी देश को अपनी शक्ति को विरोध ताकतवर देश के बराबर करना होता है और शक्ति संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में करना होता है । ( 2 ) यदि कोई देश ऐसा नहीं करता है कि ताकतवर देश उसके ऊपर आक्रमण कर सकता है और उसको विनाश की ओर ले जा सकता है । 

( 3 ) शक्ति संतुलन के प्रति सभी सरकारें संवेदनशील होती हैं । कोई भी सरकार दूसरे देशों से शक्ति संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में बैठाने के लिए जीतोड़ कोशिश करती है । 

( 4 ) पड़ोसी , शत्रु या जिन देशों के साथ अतीत में लड़ाई हो संतुलन को अपने पक्ष में करने पर विशेष जोर दिया जाता है । 

( 5 ) शक्ति संतुलन बनाये रखने के लिए गठबंधन स्थापित करना जरूरी होता है । पूर्व सोवियत संघ और अमरीका के गठबंधन के कारण विश्व में शक्ति संतुलन कायम था । 

Q.2 . किसी देश के लिए आंतरिक सुरक्षा क्यों जरूरी है ? 

Or , 

पारंपरिक अवधारणा की आंतरिक सुरक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए । 

Ans . किसी देश के लिए आंतरिक सुरक्षा की आवश्यकता 

( 1 ) प्रत्येक देश के लिए आंतरिक शांति और कानून व्यवस्था अति आवश्यक है । आंतरिक शांति के अभाव में बाहरी आक्रमणों का सामना नहीं किया जा सकता । चुकी हो । 

( 2 ) द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् इस पर जोर नहीं दिया गया । वस्तुतः इसका कारण यह था कि ताकतवर देशों में लगभग आंतरिक शासन स्थापित था । 

( 3 ) 1945 के पश्चात् संयुक्त राज्य अमरीका और सोवियत संघ अपनी सीमा के अन्दर एकीकृत और शान्ति सम्पन्न है । 

( 4 ) अधिकांश यूरोपीय देशों विशेष रूप से पश्चिमी देशों के सामने अपनी सीमा के भीतर बसे समुदायों अथवा वर्गों से कोई गम्भीर खतरा नहीं था । इसलिए इन देशों ने सीमा पार के खतरों पर ध्यान दिया । 

( 5 ) कुछ यूरोपीय देशों को अपने उपनिवेशों में जनता से हिंसा का भय था क्योंकि अब ये लोग आजादी चाहते थे । 

03. निरस्त्रीकरण शब्द को स्पष्ट कीजिए ।

Ans . निरस्त्रीकरण का अर्थ है कि मानवता का संहार करने वाले अस्त्र – शस्त्रों का निर्माण बन्द हो व आणविक शस्त्रों पर प्रतिबंध लगे । विश्व के अनेक देशों ने अणुबम तथा हाइड्रोजन बम बना लिए हैं और कुछ बनाने की तैयारी कर रहे हैं । 

इससे अन्तर्राष्ट्रीय शांति को दिन प्रतिदिन खतरा बढ़ रहा है । एक देश द्वारा बनाए गए संहारक शस्त्रों का उत्तर दूसरा देश अधिक विनाशक शस्त्रों का निर्माण करके देता है । भारत प्रारंभ से ही निरस्त्रीकरण के पक्ष में रहा है । इस दृष्टि से संसार में होनेवाले किसी भी सम्मेलन का भारत ने स्वागत किया है । 1961 ई . में भारत ने अणुबम न बनाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्रसंघ की साधारण सभा में रखा था । 

जेनेवा में होने वाले निरस्त्रीकरण सम्मेलन में भारत ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई । अन्त में हम यह कह सकते हैं कि निरस्त्रीकरण में ही विश्व का कल्याण निहित है । 

Q. 4. निरस्त्रीकरण क्यों आवश्यक है ? कोई दो कारण बताइए । 

Ans . आधुनिक युग में निरस्त्रीकरण बहुत आवश्यक है । इसके दो कारण निम्नलिखित हैं 

1. अणु व परमाणु बमों जैसे भयानक अस्त्र – शस्त्रों के बनने व प्रतिदिन उनमें बढ़ोतरी होने से विश्व शांति खतरे में पड़ गई है । तृतीय विश्वयुद्ध का खतरा दिन – प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है । 

2. घातक हथियारों का निर्माण केवल खतरनाक ही नहीं है बल्कि अधिक महँगा भी है । नए – नए अस्त्र बनाने की होड़ के प्रति वर्ष अरबों रुपए व्यय किए जाते हैं । उदाहरण 1980 ई . में विश्व के सब देशों ने मिलकर शस्त्रास्त्रों के निर्माण से कुछ धन बचाया जा सके तो उसी धन को भूखों , निर्धनों तथा बीमारों के लाभ के लिए प्रयोग किया जा सकता है । 

Q. 5. सुरक्षा के पारंपरिक तरीके कौन – कौन से हैं

Ans . सुरक्षा के पारंपरिक तरीके : 

( 1 ) किसी देश को युद्ध उचित कारणों या आत्मरक्षा अथवा दूसरों को जनसंहार से बचाने के लिए करना चाहिए । 

( 2 ) युद्ध में युद्ध साधनों का सीमित इस्तेमाल करना चाहिए । 

( 3 ) आक्रामक सेना को चाहिए कि वह युद्ध न करने वाले शत्रु , निहत्थे व्यक्ति अथवा आत्मसमर्पण करने वाले शत्रु पर आक्रमण न करे । 

( 4 ) सेना को उतने ही बल का प्रयोग करना चाहिए जितना एक सीमा तक आवश्यक हो और उसे एक सीमा तक ही हिंसा का सहारा लेना चाहिए । 

( 5 ) बल प्रयोग तभी करना चाहिए जब अन्य सभी उपाय असफल हो गये हों । 

परमाणु अप्रसार संधि ( Nuclear Non – Proliferation Treaty ) – 

( 1 ) परमाणु अप्रसार संधि एक प्रकार की अस्त्र नियंत्रण संधि है जो 1968 में हुई थी । 

( 2 ) इसके अन्तर्गत हथियारों के उपार्जन को नियमों और कानूनों के दायरे में खड़ा कर दिया । 

( 3 ) जिन देशों ने 1967 से पूर्व परमाणु हथियार बना लिये थे या उनका परीक्षण करा लिया था उन्हें इस संधि के अन्तर्गत इन हथियारों को रखने की अनुमति दे दी गई । 

( 4 ) जो देश 1967 तक ऐसा नहीं कर पाये थे उन्हें ऐसे हथियार को हासिल करने के अधिकार से वंचित किया गया । 

( 5 ) परमाणु अप्रसार सन्धि ने परमाणु हथियारों को समाप्त तो नहीं किया लेकिन इन्हें हासिल कर सकने वाले . देशों की संख्या अवश्य कम कर दी । 

Q.6. सुरक्षा की पारंपरिक धारणा में विश्वास बहाली से क्या लाभ हैं ?

Ans . विश्वास बहाली से लाभ : 

( 1 ) सुरक्षा नीति का एक महत्त्वपूर्ण तरीका विश्वास हैं बहाली है । इन उपायों से देशों के बीच हिंसाचार कम किया जा सकता है । 

( 2 ) इस प्रक्रिया में हो वे देश सैन्य टकराव और प्रतिद्वन्द्विता वाले देश सूचनाओं तथा विचारों के नियमित आदान – प्रदान का निर्णय करते हैं । 

( 3 ) ऐसा करके ये देश अपने प्रतिद्वन्द्वी को इस बात का आश्वासन देते हैं कि उनकी ओर से हमले की योजना नहीं है । 

( 4 ) 1990 के दशक में विश्व सुरक्षा धारणा अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद , एड्स और बर्ड फ्लू जैसी महामारियों से सुरक्षा आती है । 

( 5 ) ये ऐसी समस्यायें हैं जिनका समाधान अकेले कोई देश नहीं कर सकता । इसमें सबको सहयोग देना होगा । 

Q.7. आतंकवाद से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण सहित समीक्षा कीजिए । 

Ans . आतंकवाद का अर्थ एवं उदाहरण- 

( 1 ) आतंकवाद का आशय राजनीतिक हिंसा से है जिसमें निर्दयता से जनता की हत्या की जाती है । आतंकवाद से आज विश्व के कई देश ग्रस्त हैं । 

( 2 ) कोई राजनीतिक संदर्भ या स्थिति नापसंद हो तो आतंकवादी समूह उसे बल प्रयोग की धमकी देकर बदलना चाहते हैं । 

( 3 ) जनमत को आतंकित करने के लिए नागरिकों को निशाना बनाया जाता है । 

( 4 ) आतंकवाद में नागरिकों के असंतोष का इस्तेमाल किया जाता है और राष्ट्रीय सरकारों अथवा संघर्षों में शामिल अन्य पक्ष के खिलाफ कार्रवाई की जाती है । 

( 5 ) आतंकवाद का प्रसिद्ध उदाहरण – विमान अपहरण , भीड़ भरी जगहों यथा – रेलगाड़ी , होटल , बाजार आदि पर बम से हमला किया जाता है । 

Q.8. मानवाधिकारों का वर्गीकरण कीजिए । 

Ans . मानवाधिकारों का वर्गीकरण : मानवाधिकारों को तीन कोटियों में विभाजित किया गया है 

( 1 ) पहली कोटि – इसमें राजनैतिक अधिकार आते हैं । जैसे – अभिव्यक्ति का अधिकार और सभा करने की स्वतंत्रता ।  

( 2 ) दूसरी कोटि- यह कोटि आर्थिक और सामाजिक अधिकारों की है । जैसे जीविका कमाने का अधिकार , रोजगार पाने का अधिकार आदि । 

( 3 ) तीसरी कोटि – इसके अन्तर्गत उपनिवेशीकृत जनता अथवा जातीय और मूलवासी अल्पसंख्यकों के अधिकार आते हैं । इस वर्गीकरण को लेकर व्यापक सहमति हैं । 

Q.9. वैश्विक निर्धनता की समीक्षा कीजिए । 

Ans . 

( 1 ) यह बड़े आश्चर्य की बात है कि गरीब देशों में जनसंख्य तेजी से बढ़ रही है । विद्वानों का अनुमान है कि अगले 50 वर्षों में विश्व के सबसे गरीब देश में आबादी तीन गुना बढ़ेगी जबकि इसी अवधि में अनेक धनी देशों की आबादी घटेगी । 

( 2 ) प्रति व्यक्ति उच्च आय और जनसंख्या की कम वृद्धि के कारण धनी देश अथवा सामान क समूहों को और धनी बनने में मदद मिलती है । 

( 3 ) दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में असमानता बड़े पैमाने पर बढ़ा है । सहारा मरुस्थल विश्व तलाश में उत्तरी गोलार्द्ध के देशों में प्रवास कर रहे हैं । 

Q. 10. सहयोग मूलक सुरक्षा के लिए किस प्रकार की रणनीति तैयार करनी चाहिए ? 

Ans . सहयोग मूलक सहयोग की रणनीतियाँ 

( 1 ) यदि अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग से रणनीतियाँ तैयार की जाए तो बेहतर होगा । 

( 2 ) सहयोग द्विपक्षीय , क्षेत्रीय , महादेशीय अथवा वैश्विक स्तर का हो सकता है । वस्तुतः यह देशों की इच्छा और खतरे की प्रकृति पर निर्भर करता है । 

( 3 ) सहयोगमूलक सहयोग में विभिन्न देशों के अलावा अन्तर्राष्ट्रीय राष्ट्रीय स्तर की अन्य संस्थायें जैसे अन्तर्राष्ट्रीय संगठन ( संयुक्त राष्ट्र संघ , विश्व स्वास्थ्य संगठन , विश्व बैंक , अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष आदि ) , स्वयं सेवी संगठन , व्यावसायिक संगठन , निगम तथा प्रसिद्ध हस्तियाँ ( यथा नेल्सन मंडेला , मदर टेरेसा ) हो सकती हैं । 

( 4 ) सहयोग मूलक सहयोग में अंतिम उपाय बल प्रयोग हो सकता है । अन्तर्राष्ट्रीय शक्तियाँ इसमें सहयोग दे सकती हैं । उन देशों के विरुद्ध सैन्य बल का प्रयोग किया जा सकता है । जो अपनी जनता को सता रहे हैं , महामारियों से सुरक्षा नहीं दे रहे हैं । 

Long Answer Type question

Q.1 , सुरक्षा व्याख्या कीजिए । 

Ans . 

सुरक्षा के पारंपरिक तरीके ( Traditional methods of Security ) —

प्रस्तावना ( Introduction ) : सुरक्षा की परंपरागत धारणा में स्वीकार किया जाता है कि हिंसा का इस्तेमाल यथासंभव सीमित होना चाहिए । युद्ध के लक्ष्य और साधन दोनों से इसका संबंध है ‘ न्याय – युद्ध ‘ की यूरोपीय परंपरा का ही यह परवर्ती विस्तार है कि आज लगभग पूरा विश्व मानता है कि किसी देश को युद्ध उचित कारणों यानी आत्मरक्षा अथवा दूसरों को जनसंहार से बचाने के लिए ही करना चाहिए । इस दृष्टिकोण के अनुसार किसी युद्ध में युद्ध – साधनों का सीमित इस्तेमाल होना चाहिए । 

युद्धरत सेना को चाहिए कि वह संघर्षविमुख शत्रु , निहत्थे व्यक्ति अथवा आत्मसमर्पण करने वाले शत्रु को न मारे । सेना को उतने ही वल का प्रयोग करना चाहिए जितना आत्मरक्षा के लिए जरूरी हो और उसे एक सीमांत तक ही हिंसा का सहारा लेना चाहिए । वल प्रयोग तभी किया जाय जब बाकी उपाय असफल हो गए हो । 

Q.2.भारत की सुरक्षा नीति पर प्रकाश डालें । 

Or , 

भारत की सुरक्षा की रणनीतियों की चर्चा करें । 

Ans . 

भारत की सुरक्षा की रणनीति ( Strategies of Security in India ) —— सभी देश अपनी आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के लिए और सुरक्षा के नए खतरों को दूर करने के लिए , अपनी निम्नलिखित हैं नीति बनाते हैं और उन उपायों का निश्चय करते हैं जिनके अनुसार सुरक्षा व्यवस्था की जाती है । इसे सुरक्षा की रणनीति कहा जाता है । भारत की सुरक्षा की रणनीति की प्रमुख विशेषताए है . 

1. सुरक्षा सलाहकार ( Security Advisor ) — भारत सरकार ने एक सुरक्षा सलाहकार नियुक्ति की हुई है जो भारत की सुरक्षा संबंधी मामलों पर विचार करके समय – समय पर सुरक्षा को होने वाले खतरों तथा उनके समाधान के उपायों के बारे में सरकार को सलाह देता रहता किसी ऐसे व्यक्ति को इस पद पर नियुक्त किया जाता है जो सुरक्षा संबंधी मामलों का विशेष हो । यह पद संवैधानिक पद नहीं है ।

2. सैन्य शक्ति तथा सैन्य क्षमता को मजबूत करना ( Strengthening of Militar Power and Military Capabilities ) – भारत ने बाह्य आक्रमणों तथा युद्धों से बचाव के लिए अपनी सैन्य शक्ति और उसकी क्षमता को मजबूत बनाने की नीति आरंभ से ही अपनाई है । भारत को दो कारणों से यह नीति अपनानी पड़ी । प्रथम , जब भारत स्वतंत्र हुआ तो देश के अंदरूनी हालात अच्छे नहीं थे ।

3. अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों , संस्थाओं तथा अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों को मजबूत बनाना ( Strength ening International Organisations , Institution and International Laws ) भारत ने अपनी सुरक्षा की रणनीति में यह सिद्धान्त भी अपनाया है कि अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों , संस्थाओं तथा अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों व नियमों को मजबूत बनाने में योगदान करे क्योंकि इनकी मजबूती से देशों की बाहरी सुरक्षा मजबूत होती है । 

4. सैनिक गुटबंदी से अलग रहने और सहयोग मूलक सुरक्षा की नीति ( Policy of Opposing Military Bloes and Co – operation Based Security ) – भारत ने अपनी अन्तर्गत विश्व में बनाए जा रहे सैनिक गुटों से अलग रहने की नीति अपनाई और भी इसे अपनाने की प्रेरणा दी । परिणामस्वरूप गुटनिरपेक्ष आंदोलन की स्थापना हुई । इसने शीत युद्ध की तनातनी को कुछ कम करने में भूमिका निभाई । 

Q3 . सुरक्षा और निशस्त्रीकरण में क्या संबंध है ? निःशस्त्रीकरण के लिए भारत रे क्या भूमिका निभाई है ? 

Ans . निःशस्त्रीकरण का अर्थ ( Meaning of Disarmament ) — निःशस्त्रीकरण के शाब्दिक अर्थ तो सभी प्रकार के शस्त्रों के उत्पादन की समाप्ति है , परन्तु इसका वास्तविक तत् व्यावहारिक अर्थ है विश्व – शांति और सुरक्षा के लिए विशेष प्रकार के या सभी शस्त्रों के उत्पादन में कमी या समाप्ति करना । 

अर्थात् दो या दो से अधिक राज्यों द्वारा आपसी समझौते या स्वेच से अपने शस्त्रों में कमी करना , उन्हें सीमित मात्रा में रखना अथवा उनके उत्पादन को समार का कदम निःशस्त्रीकरण होता है । 

निःशस्त्रीकरण और सुरक्षा में संबंध ( Relation between Disarmament and Se ( city ) – सुरक्षा और निःशस्त्रीकरण में गहरा संबंध है । जब देशों में अधिक से अधिक हथियार रखने की होड़ लग जाती है तो यह प्रक्रिया बाहरी सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा बन जाते है । 

विश्व के दो विरोधी गुटों में बँट जाने से अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थिति इतनी विस्फोटक हो गई कि तीसरा विश्वयुद्ध कभी भी छिड़ सकता था और यदि तीसरा युद्ध होता या हो जाए तो वह परमाणु युद्ध होगा और वह मानव जाति और मानव उपलब्धियों को पूर्णतः नष्ट कर देगा । 1944 में हीरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बमों का विनाश देख लिया था और आज भी उनका प्रभाव वहाँ के लोगों पर है । 

यह महसूस किया गया कि यदि निःशस्त्रीकरण को लागू नहीं किया गया तो हम प्रलय क ओर जाएँगे । यह भी महसूस किया गया कि परमाणु शस्त्रों से सैन्य उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो सकती और परमाणु शस्त्रों से युद्ध कदापि नहीं लड़े जा सकते । 

परमाणु शस्त्रों का होना भय आतंक , अविश्वास , अनिश्चय तथा खतरों में वृद्धि ही करता है । राज्यों में लगी शस्त्रों की होड़ विश्व – शांति और सुरक्षा को एक खतरा है आज प्रत्येक राज्य परमाणु शक्ति के आधार पर शस्त्रों के निर्माण करने पर विचार करता है । 

शस्त्रीकरण का कार्य अधिकतर राज्यों द्वारा अपने आर्थिक व सामाजिक विकास की आवश्यकता को अनदेखा करके भी किया जाता है । बड़ शक्तियों के अतिरिक्त कुछ अन्य देशों ने भी परमाणु बम बना लिया है । 

FAQ
संयुक्त राज्य संघ के चार्टर में किस व्यवस्था को स्थान दिया गया है?

संयुक्त राष्ट्रीय संघ के चार्टर में सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था का स्थान दिया गया है ।

सीटीबीटी प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा कब स्वीकार किया गया

सीटीबीटी प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 1996 में स्वीकार किया गया

नक्षत्र युद्ध कार्यक्रम किस देश ने बनाया?

नक्षत्र युद्ध कार्यक्रम संयुक्त राज्य अमेरिका ने बनाया

विश्व एड्स दिवस कब मनाया जाता है?

विश्व एड्स दिवस 1 दिसंबर को मनाया जाता है

एनपीटी(NPT) का पूरा नाम क्या है?

एनपीटी का अर्थ है परमाणु प्रसार संधि

ऑपरेशन इनफाईनाइट रीच का आदेश किसने दिया था?

ऑपरेशन इनफाईनाइट रीच का आदेश अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने दिया था।